रामचन्द्र शुक्ल ने हदय की मुक्तावस्था किसे कहा है
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सत्वोद्रेक या हृदय की मुक्तावस्था के लिए किया हुआ शब्द-विधान काव्य है। ' यह कथन आचार्य राम चन्द्र शुक्ल ने कहा है। ऐसा मुक्त हृदय प्राणी जब अपने हृदय को लोक-हृदय से मिला देता है तो यह दशा ही रसदशा है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि व्यापक अर्थ में रस दशा “हृदय की मुक्तावस्था” ही है।
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