History, asked by raghubharadwaj1994, 5 months ago

रामचरित रामचरितमानस की चौपाई जिसमें पिता पुत्र के गुणों में समानता बताई गई है​

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Answered by naman1062
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वास्तव में रामचरितमानस में कोई भी उक्ति ऐसी नहीं है, कोई भी चौपाई ऐसी नहीं है जिसमें कोई शिक्षा ना हो। केवल आवश्यकता है तो हमें इनका अनुकरण करने की।

"हमें निज धर्म पर चलना सिखाती रोज रामायण,

सदा शुभ आचरण करना सिखाती रोज रामायण ।

जिन्हें संसार सागर से उतरकर पार जाना है, उन्हें सुख से किनारे पर लगाती रोज रामायण।

कहीं छवि विष्णु की बाकी, कही शंकर की है झांकी,

हृदयानंद झूले पर झूलाती रोज रामायण ।

सरल कविता की कुंजों में बना मंदिर है हिंदी का,

जहां प्रभु प्रेम का दर्शन कराती रोज रामायण।

कभी वेदों के सागर में, कभी गीता की गंगा में, सभी रस बिंदुओं को मन में मिलाती रोज रामायण।

कही त्याग, कही प्रेम ,कहीं समर्पण का भाव है,

भक्ति, प्रेम का संदेश जन - जन को पहुंचाती रोज रामायण।

सत्य, निष्ठा ,मर्यादा का अनुपम संदेश है ये,

भारत की गरिमा में चार चांद लगाती रोज रामायण" ।

यह भी कहा जाता है कि ----

"जिन हिंदू परिवारों में रामचरितमानस की चौपाई के स्वर नहीं होते उन घरों में राग, शोक, दुख ,दरिद्रता व क्लेश सैदेव चारपाई बिछाए स्थाई रूप से निवास करते हैं" ।

अतःश्री रामचरितमानस का पाठ अत्यंत कल्याणकारी है।इसे हमे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए।

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