रामचरितमानस किस काव्य शैली में निबंध रचना है
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रामचरितमानस किस काव्य शैली में निबंध रचना है
रामचरित मानस छंद और चौपाई शैली में काव्य रचना है।
रामचरितमानस, अवधी भाषा में एक महाकाव्य कविता है, जो 16 वीं शताब्दी के भारतीय भक्ति कवि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित है। रामचरितमानस शब्द का शाब्दिक अर्थ है "राम के कर्मों की झील"। इसे अवधी साहित्य की सबसे बड़ी कृतियों में से एक माना जाता है।
'रामचरितमानस' एक चरित-काव्य है, जिसमें राम का सम्पूर्ण जीवन-चरित वर्णित हुआ है। इसमें 'चरित' और 'काव्य' दोनों के गुण समान रूप से मिलते हैं।
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तुलसीदास के भाव-पक्ष पर प्रकाश डालिए।
Answer:
रामचरितमानस प्रबंध काव्य शैली में लिखा हुआ महान ग्रंथ है | यह तुलसीदास की महान काव्य प्रतिभा का द्योतक भी है । तुलसी को कथा के मार्मिक स्थलों की बड़ी अच्छी पहचान थी | परिणामत: रामचरित मानस में उनका प्रबंध कौशल अद्वितीय बन पड़ा है| तुलसी को ब्रजभाषा और अवधी दोनों पर समान अधिकार प्राप्त था । उन्होंने रामचरितमानस की रचना साहित्यक अवधी में की | उनकी भाषा भावप्रेषण में सक्षम है तथा वह प्रसंगानुकूल एवं पात्रानुकूल भी है | यही नहीं उनकी भाषा व्याकरण सम्मत एवं समास एवं अलंकार बहुल भी है |
महाकवि गोस्वामी तुलसीदास शास्त्र पारंगत मनीषी थे | काव्य तत्वों से वे भलीभांति अवगत थे | कविता के तत्वों में उन्होंने अर्थ ,अलंकार, छंद रीति,भाव, रस,दोष ,गुण, ध्वनि और वक्रोक्ति आदि अनेक तत्वों की गणना की है | वे रस को काव्य का प्राणतत्व मानते हुए भी रीतिऔरअलंकार के महत्त्व स्वीकारते हैं | तुलसी की दृष्टि में उत्तम कविता वह है जो विद्वानों द्वारा सराही जाय |कविता की तुलना उन्होंने गंगा से की है तथा काव्य का प्रयोजन लोकमंगल को माना है | ("कीरति भनिति भूति भल सोई | सुरसरी सम सब कहं हित होई||"
तुलसी ने रामचरितमानस में दोहा, चौपाई,सोरठा,सवैया ,कवित्त आदि छंदों का प्रयोग किया है | वे संस्कृत के भी प्रकांड पंडित थे | रामचरितमानस में कांडों के प्रारंभ में रचित श्लोक तथा स्तुतियाँ इस बात के प्रमाण है | उन्होंने लोक भाषा अवधी में रामचरितमानस की रचना करके इसे जन जन के लिए सुलभ बनाया इसी सरलता के कारण से आज भी यह महाकाव्य जनसमुदाय में सर्वाधिक लोकप्रिय है |