Hindi, asked by Aniketsingh7346, 3 months ago

“रामहनुमत्संगमः” इति पाठ्यांशाधारेण हनुमतः पाण्डित्यं दर्शयत ।
कशनं समासेन उ​

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Answered by Anonymous
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दीवाली है। चारों ओर रौशनी हो रही है, सभी लोग सुंदर वस्त्रों में प्रसन्न चित हो एक दूसरे को मुबारकबाद दे रहे हैं। कुछ ही देर में पूजा होगी भगवान गणेश लक्ष्मी की और बच्चे पटाखे छुड़ाएंगे, तरह तरह के व्यंजन पकवान आदि दस्तरख्वान पर सजेंगे। मैं अभी अभी मंदिर गया था और रास्ते में सारी रौनक देख कर सोचने लगा कि आखिर ये सब किस लिए ? एक राजा राम हुए थे पांच हज़ार पहले और उनके अयोध्या वापस आने की इतनी खुशी ! कुछ तो अद्भुत होगा राम में जो उनके पिता दशरथ उनका बिछोह न सह पाये और हमारे राष्ट्रपिता नें जो आखिरी लफ्ज़ कहा अपने प्राण त्यागने के पूर्व वो भी था – राम । आखिर ऐसा क्या था राजा राम में, उस पुरुषोत्तम राम में, उस बनवासी राम में, उस आश्रित वत्सल राम में जो हम सब उसके प्रेम में रमे है वो भी एक दो नहीं हज़ारों साल से। रामायण में गोस्वामी तुलसीदास जी राम के राज्य का वर्णन करते हुए कहते हैं I

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