रे मन आज परीक्षा तेरी !
सब अपना सौभाग्य मनावें।
दरस परस निःश्रेयस पावें।
उद्धारक चाहें तो आवें।
यहीं रहे यह चेरी! bhavarth
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रे मन आज परीक्षा तेरी !
सब अपना सौभाग्य मनावें।
दरस परस निःश्रेयस पावें।
उद्धारक चाहें तो आवें।
यहीं रहे यह चेरी!
भावार्थ : यशोधरा गौतम बुद्ध के आने की प्रतीक्षा में अपने मन को समझाती हुई कहती हैं, कि हे मन आज तेरी परीक्षा की घड़ी है, अब तक मेरे प्रिय नही थे तो मै तुझ पर नियंत्रण रखती थी, लेकिन आज तुझे स्वयं पर खुद ही नियंत्रण रखना है, क्योंकि आज सौभाग्य का दिन है। आज मेरे प्रिय आ रहे हैं, जिनके दर्शन में मुझे परम सुख प्राप्त होगा। यशोधरा कहते हैं कि मेरे प्रिय मेरे उद्धाकर बनकर जब चाहे आ सकते हैं, उनकी दासी उनका यहीं पर सदैव प्रतीक्षा करती रहेगी।
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