रामनिहाल के हाथ में किसका चित्र था ? चित्र को देखकर श्यामा ने रामनिहाल से क्या कहा ?
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रामनिहाल के हाथ में चित्र चित्र को देखकर श्यामा ने रामनिहाल से कहा
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- बण्डल तो रख दिया पर दूसरा बड़ा-सा लिफाफा खोल ही डाला। एक चित्र उसके हाथों में था और आँखों में थे आँसू। कमरे में अब दो प्रतिमा थीं।
- बुद्धदेव अपनी विराग-महिमा में निमग्न। रामनिहाल रागशैल-सा अचल, जिसमें से हृदय का द्रव आँसुओं की निर्झरिणी बनकर धीरे-धीरे बह रहा था।श्यामा वहाँ आकर खड़ी हो गयी।
- उसके आने पर भी रामनिहाल उसी भाव में विस्मृत-सा अपनी करुणा-धारा बहा रहा था। श्यामा ने कहा-‘‘निहाल बाबू!’’
- निहाल ने आँखें खोलकर कहा-‘‘क्या है? .... अरे, मुझे क्षमा कीजिए।’’ फिर आँसू पोछने लगा।
- ‘‘बात क्या है, कुछ सुनूँ भी। तुम क्यों जाने के समय ऐसे दुखी हो रहे हो? क्या हम लोगों से कुछ अपराध हुआ?’’
- ‘‘तुमसे अपराध होगा? यह क्या कह रही हो? मैं रोता हूँ, इसमें मेरी ही भूल है। प्रायश्चित करने का यह ढंग ठीक नहीं, यह मैं धीरे-धीरे समझ रहा हूँ। किन्तु करूँ क्या? यह मन नहीं मानता।’’
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