रोमन साम्राज्य में किस प्रकार की सेना रखते थे
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रोमन साम्राज्य में “व्यवसायिक सेना” रखते थे।
रोमन साम्राज्य की सेना एक व्यवसायिक सेना होती थी, जिसमें प्रत्येक सैनिक को वेतन दिया जाता था और सेना में भर्ती होने का यह नियम था कि सैनिक को कम से कम 25 साल तक सेना में अपनी सेवा देनी पड़ती थी।
रोमन साम्राज्य में सेना का स्थान सम्राट तथा सैनेट के बाद था। रोमन साम्राज्य की सेना बेहद शक्तिशाली होती थी और सम्राट का भविष्य सेना पर ही टिका होता था। रोमन साम्राज्य में सम्राट और सेनेट के बाद सेना शासन की एक प्रमुख संस्था होती थी। यह पूरी तरह व्यवसायिक सेना होती थी। यह रोमन साम्राज्य की सबसे बड़ी एकल संगठित संस्था थी। चौथी शताब्दी तक इस सेना में लगभग छह लाख सैनिक थे।
रोमन साम्राज्य के सम्राट का भविष्य भी सेना पर ही निर्भर करता था, क्योंकि जो सम्राट सेना पर जितना अधिक नियंत्रण कर पाता, वह सम्राट उतना ही अधिक टिक पाता था। यदि सेना विद्रोह कर देती तो सम्राट का शासन भी खतरे में पड़ जाता था और गृह युद्ध आरंभ हो जाता था। सेनेट सेना से डरती भी थी और उससे घृणा भी करती थी।
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रोमन सेना की प्रगति को मुख्यतः चार भागों में बांटा गया है।
1) रूम के प्रारंभिक युग में सेना एक नागरिक सेना थी।
2) फिर इसका विकास विजयी गणतांत्रिक सेना में हुआ, जिस ने क्रमशः इटली और भूमध्य सागरीय क्षेत्र का दमन किया।नागरिकों की पैदल सेना प्रतिवर्ष की आवश्यकताओं के अनुसार आकाश में बदलती हुई अंततोगत्वा अपने नाम की सेवा तथा संगठन के साथ एक वेतन भोगी सेना के रूप में विकसित हुई।
3) उसके बाद यह सुरक्षा की साम्राज्यवाहिनी बनी।नागरिक सेना से बदलकर या दुर्ग रक्षक सेना के रूप में परिणत हो गई और इसमें इतनी तथा प्रदेशों के प्रतिनिधि भी थे।
4)अंत में जंगली फुल सवारों के आक्रमण ने एक मैदानी सेना के निर्माण के लिए बांध किया,जो सीमा दुर्ग रक्षक सेना से मित्र भी और उसमें बड़ी संख्या में सवार सम्मिलित हुए और जो सिंह रही पैदल सेना से अधिक महत्व शाली सिंह हुए। रोमन सेना पाली प्रांजल सिपाहियों की सेना ठीक बाद की आवश्यकताओं मैं उसने कुछ सवालों की प्रमुखता हुई।
यह दीरघ विकास निरंतर चलता रहा। वास्तव में यह विकास इतना अटूट है कि बहुत से सैनिक प्राविधिक शब्द यूरो तक पूर्वक प्रयुक्त होते रहे।