रोमन सेना पर 3 वाक्य लिखो
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रोमन सेना की प्रगति को हम चार प्रमुख भागों में बाँट सकते हैं।
(1) रोम के प्रारंभिक युग में सेना एक नागरिक सेना थी।
(2) फिर इसका विकास विजयी गणतांत्रिक सेना में हुआ, जिसने क्रमश: इटली और भूमध्यसागरीय क्षेत्र का दमन किया। नागरिकों की पैदल सेना प्रति वर्ष की आवश्यकताओं के अनुसार आकार में बदलती हुई अंततोगत्वा अपनी लंबी सेवा तथा संगठन के साथ एक वेतनभोगी सेना के रूप में विकसित हुई।
(3) उसके बाद यह सुरक्षा की साम्राज्यवाहिनी बनी। नागरिक सेना से बदलकर यह दुर्गरक्षक सेना के रूप में परिणत हो गई और इसमें इटली तथा प्रदेशों के प्रतिनिधि भी थे।
(4) अंत में जंगली घुड़सवारों के आक्रमणों ने एक मैदानी सेना के निर्माण के लिए बाध्य किया, जो सीमा दुर्गरक्षक सेना से भिन्न थी और जिसमें बड़ी संख्या में सवार सम्मिलित हुए और जो शीघ्र ही पैदल सेना से अधिक महत्वशाली सिद्ध हुई। रोमन सेना पहले पैदल सिपाहियों की सेना थी, बाद की अवस्थाओं में उसमें घुड़सवारों की प्रमुखता हुई।
यह दीर्घ विकास निरंतर चलता रहा। वास्तव में यह विकास इतना अटूट है कि बहुत से सैनिक प्राविधिक शब्द युगों तक पूर्ववत् प्रयुक्त होते रहे। यद्यपि उनके अर्थ में गंभीर संशोधन हुए, किंतु उनका स्वरूप अपरिवर्तित व्यवस्था में निहित है। उदाहरण के लिए लीजन (Legion) शब्दावली सभी चार अवस्थाओं में आती है। किंतु प्रत्येक में इसका महत्व भिन्न है। सदैव इससे नागरिक सैनिकों का बोध हुआ, सदा इससे यह भी प्रगट हुआ कि यह एक सेना थी जो यदि पूर्णतया नहीं तो प्रमुख रूप से विशाल पैदल सेना थी, किंतु इन दो लगातार ढाँचों की रचना समय समय पर बदलती रही। प्रथम अवधि में लीजन अनिवार्य भरती सेना थी, मैदान सँभालने के लिए जिसका आवाहन किया जाता था।