रामनरेश त्रिपाठी की कविता जब याद तुम्हारी आती है मैं से खुशबू की लहरें जब घर से बाहर दौड़ लगाती है क्या क्या asaya hai
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जब दुनिया पर मुसकाती हैं, खुशबू की लहरें जब घर से बाहर आ दौड़ लगाती हैं. हे जग के सिरजनहार प्रभो! तब याद तुम्हारी आती है। हे जग के सिरजनहार प्रभो!!
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