रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर "एक हमारा ज़माना था..." कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है?
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उत्तर :
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद अपने जमाने की बातें इसलिए करते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि उनके समय में जो कुछ भी होता था वह बहुत अच्छा था परंतु ऐसा नहीं है। समय हमेशा एक सा नहीं रहता। उसमें परिवर्तन आता रहता है।आवश्यक नहीं है कि जो पहले था वह आज भी रहे। इसी प्रकार अतीत में भी सभी चीजें अच्छी नहीं होती। कुछ चीजें अतीत में अच्छी रही होंगी तो कुछ चीजें वर्तमान में भी अच्छी होती है। केवल अतीत से चिपके रहकर वर्तमान की बुराई करना तर्कसंगत नहीं है।अतीत और वर्तमान में हमेशा सामंजस्य बिठाकर चलना चाहिए।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद अपने जमाने की बातें इसलिए करते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि उनके समय में जो कुछ भी होता था वह बहुत अच्छा था परंतु ऐसा नहीं है। समय हमेशा एक सा नहीं रहता। उसमें परिवर्तन आता रहता है।आवश्यक नहीं है कि जो पहले था वह आज भी रहे। इसी प्रकार अतीत में भी सभी चीजें अच्छी नहीं होती। कुछ चीजें अतीत में अच्छी रही होंगी तो कुछ चीजें वर्तमान में भी अच्छी होती है। केवल अतीत से चिपके रहकर वर्तमान की बुराई करना तर्कसंगत नहीं है।अतीत और वर्तमान में हमेशा सामंजस्य बिठाकर चलना चाहिए।
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इस तरह की तुलना करना बिल्कुल तर्कसंगत नहीं होता। क्योंकि समय के साथ समाज में, जलवायु में, खान-पान में सब में परिवर्तन होता रहता है। जैसे – उस वक्त की वस्तुओं की गुणवत्ता हमें आज प्राप्त नहीं होती। उस समय का स्वच्छ वातावरण या जलवायु हमें आज प्राप्त नहीं होता, तो हम कैसे कल की तुलना आज से कर सकते हैं? समय परिवर्तनशील है वह सदैव एक सा नहीं रहता समय के साथ हुए बदलाव को स्वीकार करने में ही भलाई है न कि उसकी तुलना बीते हुए कल से करने में।
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