रामधारी सिहं दिनकर ने मिट्टी तोडने वाले और खेतो मे काम को देवता क्यो कहाँ है।
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असली देवता तो वे कर्मयोगी होते हैं जो खेत-खलिहानों में परिश्रम करते मिलेंगें, सड़क पर गड्ढे खोदते मिलेंगे, कल-कारखानों में अपना पसीना बहाते मिलेंगे। असली देवता तो ये परिश्रमी लोग हैं। इन परिश्रमी लोगों के औजार ही अब राष्ट्र का हथियार हैं। ये आम जन ही वास्तव में सच्चे शासक हैं। सत्ता पर शासन करने का अधिकारी इसी परिश्रमी आम जनता को है
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रामधारी सिंह दिनकर ने मिट्टी तोड़ने वालो और खेतों में काम करने वालों को देवता इसलिए कहा क्योंकि उन्हीं के परिश्रम से जनता का कल्याण हो रहा है। देश के विकास में मजदुरो का भी महत्व पूर्ण योगदान है। मजदूरों के बिना विकास संभव नहीं है।
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