Hindi, asked by tarannumbano997708, 9 months ago

रामधारी सिंह दिनकर वाकयांस


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Answered by jharavinder98
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रामधारी सिंह दिनकर ने अपने नाम के अर्थ को यथार्थ करते हुए वाकई किसी सूरज के समान साहित्य के अंबर पर अपनी रौशनी बिखेरी है। रश्मिरथी से लेकर उर्वशी तक उनके काव्य-संग्रह लोगों के मस्तिष्क में अमिट रूप से दर्ज हैं। दिनकर की लेखनी समय के साथ सिर्फ़ युवा हुई जिसकी चमक भी जीवन पर्यन्त बरकरार रही। जानें इन्हीं काव्य पुरोधा दिनकर के कहे कुछ ख़ास वाक्य

अस्तमान सूर्य होने को मत रुको। चीजें तुम्हें छोड़ने लगें, उससे पहले तुम्हीं उन्हें छोड़ दो।

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