- रामवृक्ष बेनीपुरी अथवा यशपाल का जीवन परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश
डालिए।
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श्री रामवृक्ष बेनीपुरी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी रहे हैं। क्रांति उनके आत्मा का स्वर है। हिंदी साहित्य में दिव्य क्रांतिकारी व्यक्तित्व लेकर ही आए हैं। उन्होंने नाटक कहानी निबंध लेखन चित्र आलोचना आदि विविध विधाओं को अपने तेजस्वी प्रतिभा का प्रसाद प्रदान किया किंतु ललित निबंधकार और उत्कृष्ट रेखा चित्रकार के रूप में उनको विशेष ख्याति प्राप्त हुई।
जीवन परिचय-----रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुरी नामक गांव में सन उन्नीस सौ 2 ईसवी में हुआ था। इनके पिता फूलवंत सिंह एक साधारण किसान थे। इनके बचपन में ही माता-पिता का देहांत हो गया था। इनका पालन-पोषण इनकी मौसी के यहां हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा बेनीपुरी में हुई। बाद में इनकी शिक्षा ननिहाल में हुई। उन्होंने साहित्य सम्मेलन की विशारद की परीक्षा उत्तीर्ण की। मैट्रिक की परीक्षा में बैठने से पूर्व ही सन 1920 ईस्वी में उन्होंने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में भाग लिया और स्कूली परीक्षा छोड़नी पड़ी। रामचरितमानस के अध्ययन से इनकी अभिरुचि हिंदी साधना की ओर हुई। 15 वर्ष की अवस्था में ही उन्होंने पत्र-पत्रिकाओं में लिखना प्रारंभ कर दिया था राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेने के परिणाम स्वरूप इन्हें अनेक वर्षों तक जेल यातनाएं भी सहनी पड़ी। इन्होंने तरुण भारत, किसान मित्र ,बालक, युवक ,लोक संग्रह, कर्मवीर ,योगी, जनता ,हिमालय, नई धारा ,चुन्नी मुन्नी, आदि पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया। सन 1968 ईस्वी में इनका देहांत हो गया।
साहित्यिक परिचय-------
बेनीपुरी जी के क्रांतिकारी व्यक्तित्व में उत्कट देशभक्ति मलिक साहित्यिक प्रतिभा अथक समाज सेवा की भावना और चारित्रिक पहनता का अद्भुत सामने अन्यथा। उन्होंने 810 पत्र-पत्रिकाओं का संपादन और अनेक नाटकों निबंधों कहानियों रेखा चित्र आदि की रचना करके हिंदी साहित्य के भंडार की श्री वृद्धि की। स्वतंत्रता के पश्चात पदों और उपाधियों से दूर रखा उन्होंने देश में गणपति पद लोलुपता और भोग वादी प्रवृत्तियों पर तीखे प्रहार किए और सशक्त भारत के निर्माण का मंगलमय प्रयास किया।
इनके प्रमुख रचनाएं
पति तो के देश (उपन्यास ),माटी के मूर्ति ,लाल तारा (रेखा चित्र ),चीता के फूल (कहानी ),नाटक गेहूं और गुलाब वंदे वाणी विनायक को पैरों में पंख बांधकर जात्रा मदन जंजीरें और दीवारें संस्मरण।