India Languages, asked by komalupadhyay13187, 2 months ago

रानी के लिए बरामद क्या बन गया था​

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Answered by shashankshekhar29
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Answered by lalchandmourya718
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रानी ने जाना परिश्रम का महत्व

6 वर्ष पहले

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कौशल नरेशकी रानी इतनी नाजुक मिजाज थी कि अधखिली कलियों के बिछौने पर ही उसे नींद आती थी। एक रात कुछ खिली हुई कलियां भी गईं। उनकी पंखुड़ियों से रानी के शरीर में चुभन होने लगी और नींद उसकी आंखों से कोसों दूर भाग गई। उसकी दशा देखकर राजा के मंुह से निकल गया, मजदूरों को तो ठंडी जमीन और पत्थरों पर भी नींद जाती है और तुम्हें फूल भी चुभ रहे हैं।’ इन शब्दों ने रानी को अाहत कर दिया। उसने राजसी वेशभूषा त्यागकर मजदूर का जीवन अपनाने की घोषणा कर दी। उसने राजा से कहा कि वह दो वर्ष तक उसकी खोज बिल्कुल नहीं करेगा। दो साल बाद वह खुद ही लौट आएगी। अगले दिन रानी ने पड़ोसी राज्य की राह पकड़ी। वहां उसने देखा कि राजा का नया महल बन रहा था। रानी वहां मजदूरी करने लगी। आरंभ में उसे बहुत दिक्कत हुई, क्योंकि ऐसे परिश्रम की उसे आदत नहीं थी, किंतु उसने हार नहीं मानी। वह कठोर परिश्रम करती और रूखा-सूखा खाकर चटाई पर सो जाती। अब उसे तत्काल नींद जाती। संयोगवश दो वर्ष बाद उसके पति का पड़ोसी राजा के यहां आना हुआ। नया महल देखते समय उसने अपनी रानी को पहचान लिया। पड़ोसी राजा को ज्ञात हुआ कि वह तो रानी है। उसने तत्काल रानी को आदर देकर मजदूरी के कार्य से मुक्त किया और क्षमा मांगी, किंतु रानी ने प्रसन्न होकर कहा, ‘मैं तो आपकी आभारी रहूंगी, क्योंकि आपके यहां आकर मैंने परिश्रम का महत्व जाना।’ रानी अपने राज्य लौट आई, किंतु परिश्रम करना फिर कभी नहीं छोड़ा। कथा परिश्रम की महत्ता को रेखांकित करती है। परिश्रम का अभाव अनेक बीमारियों को जन्म देता है। अत: परिश्रम हमारे जीवन का अनिवार्य अंग होना चाहिए।

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