रानी लक्ष्मीबाई के संघर्ष की कहानी अपने शब्दों में लिखो।
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*रानी लक्ष्मी बाई के संघर्ष *
सन 18 सो 58 में जून का 17 वॅ दिन था l जब खो लड़ी मर्दानी अपनी मातृभूमि के लिए जान देने से भी पीछे नहीं होती l मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी l
अदम्य साहस के साथ बोला गया l हुआ वहां के बचपन से लेकर अब तक हमारे साथ हैं l उनके जन्मदिन के मौके पर आइए जानते रानी लक्ष्मी बाई के जीवन के बारे में
अदम्य साहस के साथ बोला गया l हुआ वहां के बचपन से लेकर अब तक हमारे साथ हैं l उनके जन्मदिन के मौके पर आइए जानते रानी लक्ष्मी बाई के जीवन के बारे मेंहेलो रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को बनारस के 1 मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ l उन्होंने मणिकार्णिका नाम दिया गया और घर में मनु कह कर बुलाया गया 4 वर्ष की थी l
जब मां गुजर गई पिता मोरोपंत तांबे बिठूर जिले के केशवा के यहां काम करते थे l और पेशवा ने उन्हें अपनी बेटी की तरह पालम प्यार से नाम दिया l
जब मां गुजर गई पिता मोरोपंत तांबे बिठूर जिले के केशवा के यहां काम करते थे l और पेशवा ने उन्हें अपनी बेटी की तरह पालम प्यार से नाम दिया l छबीली मणिकर्णिका का विवाह झांसी के महाराजा राजा गंगाधर राव नेवलकर से हुआ l और देवी लक्ष्मी पर उसका नाम लक्ष्मीबाई पड़ा बेटे को जन्म दिया लेकिन 4 माह का होते ही उसका निधन हो गया l
राजा गंगाधर ने अपने चचेरे भाई का बच्चा गोद लिया l और उसे दामोदर राव नाम दिया गया l राजा का देहांत होते ही अंग्रेजों ने चाल चली और
लॉर्ड डलहौजी ने ब्रिटिश साम्राज्य के पढ़ने के लिए झांसी की बदकिस्मती का फायदा उठाने की कोशिश की अंग्रेजों ने दामोदर को झांसी के राजा का उत्तराधिकारी स्वीकार करने से इंकार कर दिया l
लॉर्ड डलहौजी ने ब्रिटिश साम्राज्य के पढ़ने के लिए झांसी की बदकिस्मती का फायदा उठाने की कोशिश की अंग्रेजों ने दामोदर को झांसी के राजा का उत्तराधिकारी स्वीकार करने से इंकार कर दिया l झांसी की रानी को चलाना लेने और झांसी का किला खाली कर चले जाने के लिए कहा गया l