रोना और मचल जाना भी
क्या आनंद दिखाते थे।
बड़े-बड़े मोती-से आँसू
जयमाला पहनाते थे। का भावार्थ
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Bachho ka rona jo rang dikhata tha ki aankhon se nikalne vale aashu ki jgh bachhe has पड़ते थे.
मां bachho ke rone pr bachhi ko god mein utha leti thi aur use bhut pyaar deti thi. Isse bda hi aanand aata tha.
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रोना और मचल जाना भी क्या आनंद दिलाते थे,
बड़े-बड़े मोती से आँसू जय माला पहनाते थे,
मैं रोई माँ काम छोड़ कर आई, मुझको उठा लिया
झाड़ पोंछकर चूम-चूम कर गीले वालों को सुखा दिया
अर्थात बचपन में रोने मचलने पर भी बड़ा आनंद आता था, जब आँखों से मोती रूपी आँसू बहने लगते तो आँसुओं की जयमाला बन जाती। तब माँ अपना सारा काम छोड़ कर अपने बच्चों को गोद में उठा लेती और उन्हें दुलारती पुचकारती चुप कराती। वह अपने रोते हुए बच्चे को चूम-चूम कर उसे दुलारती रहती थी।
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