Hindi, asked by gursewak85693, 6 months ago

रे नृपबालक कालबस बोलत तोहि न सँभार।
धनुही सम त्रिपुरारिधनु बिदित सकल संसार।।इस पंक्ति में रस भाग विभाग और अनुभव और उनके भेद बताने हैं ​

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Answered by mansigamare304
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Answer:

नाथ संभुधनु भंजनिहारा। होइहि केउ एक दास तुम्हारा।।

आयसु काह कहिअ किन मोही। सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही।।

सेवकु सो जो करै सेवकाई। अरि करनी करि करिअ लराई।।

सुनहु राम जेहिं सिवधनु तोरा। सहसबाहु सम सो रिपु मोरा।।

सो बिलगाउ बिहाइ समाजा। न त मारे जैहहिं सब राजा।।

सुनि मुनि बचन लखन मुसुकाने। बोले परसुधरहि अपमाने।।

बहु धनुहीं तोरीं लरिकाईं। कबहुँ न असि रिस कीन्हि गोसाईं।।

एहि धनु पर ममता केहि हेतू। सुनि रिसाइ कह भृगुकुलकेतू।।

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