रे नृपबालक कालबस बोलत तोहि न संभार। धनुही सम त्रिपुरारिधनु बिदित सकल संसार।।
(क) उपरोक्त पंक्तियाँ किस पाठ से ली गई है?
(ख) इसके रचयिता कौन हैं
(ग) प्रस्तुत पंक्तियों का भवार्थ स्पष्ट करें।
(घ) परशुराम के क्रोध का कारण क्या है?
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(क) इस पंक्ति ‘राम लक्ष्मण परशुराम संवाद’ पाठ से ली गई है।
(ख) इसके रचयिता ‘तुलसीदास’ है।
(ग) इसका भावार्थ है:- यह सुनकर भृगुकुल की ध्वजा स्वरूप परशुराम जी ने क्रोधित होकर कहा है राजपूत्र तुम काल के वश में हो इसलिए संभलकर होश में नहीं बोल रहे हो। सारे संसार में विख्यात शिव जी का यह धनुष क्या धनुहियाँ के समान है।
(घ) शिव जी के धनुष टूट जाने की वजह से परशुराम जी क्रोधित हो गए।
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