राणा की पुतली फिरी नहीं, तब तक चेतक मुड़ जाता था'- इन पंक्तियों का क्या अर्थ है?
दी गई पंक्तियों का भाव साष्टको-
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अर्थ:जब महाराणा प्रताप रणभूमि में युद्ध कर रहे थे तब उनका घोड़ा चेतक उनकी आंखों की पुतली को एक ही बार में ही समझ जाता था कि राणा जी किस दिशा में मुड़ने को कह रहे हैं और वो बिना देर किए उसी दिशा में मुड़ जाता था।
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राणा की पुतली फिरी नहीं, तब तक चेतक मुड़ जाता था'- इन पंक्तियों का अर्थ है कि महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक रण भूमि में युद्ध कर रहे महाराणा प्रताप जब केवल अपनी आंखो की पुतली फेरते , वह समझ जाता था कि महाराणा किस दिशा में मुड़ने के लिए कह रहे है।
- चेतक महाराणा प्रताप का सबसे प्रिय व स्वामिभक्त घोड़ा था। अश्व गुजरात के व्यापारी काठियावाड़ी नस्ल के तीन घोड़े महाराणा प्रताप के पास ले आए थे, चेतक, त्राटक व अटक। अटक को उन्होंने परीक्षण के काम के लिए रख दिया , त्राटक उन्होंने अपने छोटे भाई को से दिया तथा चेतक अपने पास रख लिया। इन घोड़ों कि कीमत के रूप में महाराणा ने व्यापारियों को गढ़वाड़ा व भानोल नाम के दो गांव भेंट किए थे।
- चेतक घोड़े ने हल्दी घाटी के युद्ध में अद्वितीय बुद्धिमता व स्वामिभक्ति दिखाई थी। महाराणा प्रताप बुरी तरह से युद्ध में घायल हो गए थे चेतक उन्हें रण भूमि से निकाल कर सुरक्षित स्थान कर के आया था। एक बरसाती नाले को पार करते हुए वह वीरगति को प्राप्त हुआ था।
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