रेणु के पैदल आने पर पिता
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मेरे संग की औरतें” पाठ ‘मृदुला गर्ग’ द्वारा लिखा हुआ एक संस्मरण है जो लेखिका की वास्तविक जिंदगी से प्रेरित है।
लेखिका पांच बहने और एक भाई थे। लेखिका ने इस संस्मरण में स्वयं तथा अपनी बहनों आदि के बारे में वर्णन किया है।
‘रेनू’ लेखिका की चौथे नंबर की बहन थी। उनका स्वभाव बड़ ही विचित्र था। वह अपनी धुन में खोई रहती थी। वह बड़ी जिद्दी स्वभाव की थी एक बार जो ठान लेती थी तो उसे पूरा करके ही मानती थी। एक बार स्कूल की बस न आने पर वर्षा के भयंकर मौसम में भी वो दो मील पैदल चलकर स्कूल गयी और पैदल ही वापस आयी। अगर स्कूल बस आने में देरी हो जाती तो वो पैदल ही निकल पड़ती थी और पसीने में लथपथ होकर घर आती थी।
उनके विचार भी क्रांतिकारी थे जो सामंतवादी व्यवस्था के खिलाफ थे। पढ़ाई से संबंध में उसके विचार अनोखे थे। उसकी दृष्टि में डिग्री हासिल करना आवश्यक नही था।