राणा प्रताप इतिहासात अजरामर झाले
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: हिंदू पंचाग में आज की तिथि यानी तारीख का अलग ही स्थान है, क्योंकि इसका राष्ट्रप्रेम से संबंध है. राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों यानी ड्यूटीज के बारे में भी बताती. आज भारत के महान सपूत और वीरों में सबसे ऊपर महाराणा प्रताप की जयंती है.
महाराणा प्रताप का जन्म हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था. और मेवाड़ में हिंदू तिथि के अनुसार महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जाती है. महाराणा प्रताप का जन्म वर्ष 1540 में राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ था.
सोलहवीं सदी में महाराणा प्रताप ने मुगल बादशाह अकबर को कड़ी टक्कर दी थी. महाराणा प्रताप और अकबर के बीच लड़ा गया हल्दीघाटी का युद्ध काफी चर्चित है, जोकि1576 में लड़ा गया था. महाराणा प्रताप ने मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की थी.
महाराणा प्रताप हल्दीघाटी म्यूजियम के निदेशक डॉ. भूपेंद्र श्रीमाली कहते हैं कि हल्दीघाटी स्वतंत्रता प्रेमियों के लिए तीर्थ है. हमारे दिन की शुरुआत महाराणा प्रताप के स्मरण से ही होती है. महाराणा की जयंती पर हल्दीघाटी में तीन दिनों तक मेला चलता है, जो लॉकडाउन की वजह से इस बार नहीं हो रहा है. हल्दीघाटी म्यूजियम में महाराणा प्रताप के जीवन की गाथाएं हैं. यहां उनके प्रिय घोड़े चेतक की समाधि भी है.
महाराणा प्रताप की जयंती 9 मई को भी मनाई जाती है, इसकी वजह ये है कि वर्ष 1540 में ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया जिस दिन थी, उस दिन तारीख 9 मई थी.
आपने एक कविता भी सुनी होगी. जिसमें महाराणा प्रताप और उनके घोड़े चेतक के शौर्य के बारे में बताया गया है. इस कविता की पंक्तियां हैं-
रण–बीच चौकड़ी भर–भरकर
चेतक बन गया निराला था
राणा प्रताप के घोड़े से
पड़ गया हवा का पाला था
जो तनिक हवा से बाग हिली
लेकर सवार उड़ जाता था
राणा की पुतली फिरी नहीं
तब तक चेतक मुड़ जाता था