राणा प्रताप इतिहासात अजरामर झाले कारणे सांगा
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महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया ( ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया रविवार विक्रम संवत 1597 तदनुसार 9 मई 1540 – 19 जनवरी 1597) उदयपुर, मेवाड में सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा थे।[4] उनका नाम इतिहास में वीरता, शौर्य, त्याग, पराक्रम और दृढ प्रण के लिये अमर है। उन्होंने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक संघर्ष किया। महाराणा प्रताप सिंह ने मुगलों को कईं बार युद्ध में भी हराया।[5]
महाराणा प्रताप
मेवाड़ के 13वें महाराणा
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राजा रवि वर्मा द्वारा चित्रित महाराणा प्रताप
राज्याभिषेक
भारांग: फाल्गुन 9, 1493
ग्रेगोरी कैलेण्डर: फरवरी 28, 1572
पूर्ववर्ती
महाराणा उदयसिंह
उत्तरवर्ती
महाराणा अमर सिंह[1]
शिक्षक
आचार्या राघवेन्द्र
जन्म
भारांग: वैशाख 19, 1462
ग्रेगोरी कैलेण्डर: मई 9, 1540
कुम्भलगढ़ दुर्ग, मेवाड़ [2]
(वर्तमान में:कुम्भलगढ़ दुर्ग, राजसमंद जिला, राजस्थान, भारत)
निधन
भारांग: पौष 29, 1518
19 जनवरी 1597 (उम्र 56)
चावण्ड, मेवाड़
(वर्तमान में:चावंड, उदयपुर जिला, राजस्थान, भारत)
जीवनसंगी
महारानी अजबदे पंवार सहित कुल 11 पत्नियाँ
संतान
अमर सिंह प्रथम
भगवान दास
(17 पुत्र)
पूरा नाम
महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया
घराना
सिसोदिया राजपूत
पिता
महाराणा उदयसिंह
माता
महाराणी जयवन्ताबाई[3]
धर्म
सनातन धर्म
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