र्नम्न पिंखिय िं की सन्दभि एविं प्रसिंग सर्हत व्याख्या कीर्जए। [14]"सूरज चााँद चााँदनी तारे, सब हैं प्रर्तपि साथ हमारे,द कु रुप क रूप सि नाइतने सुन्दर बन र्क र्जतना आकषिर् है।" अथवा"द बात कही द बात सुनी कु छ हाँसे और र्फर कु छ र ए छककर सुि - दुुःि के घूिंट िं क हम एक भाव से र्पए चिे।"
Answers
Answered by
0
Hhhhfygttfrcrfseggt ug5ftftyyy
Similar questions