Hindi, asked by rvprakash584, 1 month ago

रूप का शृंगार यदि मैंने किया
साथ शव का भी हमेशा ही दिया
खिल उठा हूँ यदि सुनहरे प्रात में
मुसकराया हूँ अँधेरी रात में
मानता सौंदर्य को जीवन कला का
संतुलन हूँ
मैं सुमन हूँ। ka bhawarth

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Answered by kumharkishor2
1

Explanation:

ye6ryt7y8y7u7o ye we fyrn

Answered by bawanekrupa
0

Answer:

चल रहा महाभारत का रण, जल रहा धरित्री का सुहाग,

फट कुरुक्षेत्र में खेल रही, नर के भीतर की कुटिल आग।

वाजियों-गजों की लोथों में, गिर रहे मनुज के छिन्न अंग,

बह रहा चतुष्पद और द्विपद का रुधिर मिश्र हो एक संग।

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