रुपक अलंकार की परिभाषा
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रूपक साहित्य में एक प्रकार का अर्थालंकार है जिसमें बहुत अधिक साम्य के आधार पर प्रस्तुत में अप्रस्तुत का आरोप करके अर्थात् उपमेय या उपमान के साधर्म्य का आरोप करके और दोंनों भेदों का अभाव दिखाते हुए उपमेय या उपमान के रूप में ही वर्णन किया जाता है। इसके सांग रूपक, अभेद रुपक, तद्रूप रूपक, न्यून रूपक, परम्परित रूपक आदि अनेक भेद हैं।
उदाहरण- "चरन कमल बन्दउँ हरिराई"
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Jahan roop aur gud ki itni samanta ho ki upmey me upman ka aarop kar diya jata hai use rupak alankar kahte hain yaani dono mein koi abhinnata na dikhai de
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