रुपक और उपमा अलंकार मे क्या भेद है?
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जब किसी सामान, पदार्थ या किसी व्यक्ति के रूप, गुण एवं दोष की तुलना किसी उपमा द्वारा जैसे किसी व्यक्ति का किसी व्यक्ति से करते हैं । उसे ही उपमा अलंकार कहते हैं। जहां अत्यंत समानता को दिखाने के लिए उपमेय एवं उपमान को अलग किया जाता है । वहां रूपक अलंकार होता है।
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Explanation:
रूपक अलंकार
जब उपमेय पर उपमान का निषेध-रहित आरोप करते हैं, तब रूपक अलंकार होता है। उपमेय में उपमान के आरोप का अर्थ है–दोनों में अभिन्नता या अभेद दिखाना। इस आरोप में निषेध नहीं होता है। जैसे-
“यह जीवन क्या है? निर्झर है।”
उपमा अलंकार
‘उप’ का अर्थ है–’समीप से’ और ‘मा’ का तौलना या देखना। ‘उपमा’ का अर्थ है–एक वस्तु दूसरी वस्तु को रखकर समानता दिखाना ! अतः; जब दो भिन्न वस्तुओं में समान धर्म के कारण समानता दिखाई जाती है, तब वहाँ उपमा अलंकार होता है।
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