रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखकर उसे उचित शीर्षक और भूत लिखिए:
एक राजा - लड़ाई में हारना - शत्रु का भाई - गुफा में छिपना - छत पर मकड़ी का चढ़ना - गिरना - फिर चढ़ना - गिरना - अंत में सफलता - राजा को प्रेरणा - साहस जुटाना - विजय प्राप्त करना - सीख।
Answers
मन के हारे हार है, मन के जीते
जीत
एक समय की बात है एक राजाको दुश्मनों ने हरा दिया। उसके राज्य मे धन व जन की अपार हानि हुई। संगी-साथी भी छूट गए। अब सिर्फ उसका जीवन बचा था, जिस पर दुश्मनों का काबू था। जान बचाने के लिए वह भागा फिर रहा था। वह भागते हुए एक गुफा में छिपा अपनी मौत का इतंजार करते हुए सोच रहा था दुश्मनों की तलवार पल भर में मेरा काम तमाम कर देगी।
एक समय की बात है एक राजाको दुश्मनों ने हरा दिया। उसके राज्य मे धन व जन की अपार हानि हुई। संगी-साथी भी छूट गए। अब सिर्फ उसका जीवन बचा था, जिस पर दुश्मनों का काबू था। जान बचाने के लिए वह भागा फिर रहा था। वह भागते हुए एक गुफा में छिपा अपनी मौत का इतंजार करते हुए सोच रहा था दुश्मनों की तलवार पल भर में मेरा काम तमाम कर देगी। तभी राजा ने देखा- एक मकड़ी गुफा के दरवाजे पर जाला बनाने में व्यस्त थी। वह कई बार चढ़ने की कोशिश करती, नाकाम रहती, लेकिन फिर से उठकर जाला बनाने लगती। राजा ने सोचा यह बेकार कोशिश कर रही है। बिना आधार के जाला भला कैसे बना पाएगी, लेकिन आश्चर्य, मकड़ी का एक झीना-सा सूत्र गुफा के मुंह पर अटक ही गया। बस फिर एक के बाद एक सूत्र अटकते चले गए और देखते-देखते जाला तेजी से बुना जाने लगा। थोड़ी देर में पूरी गुफा के मुंह पर जाला तैयार था।
तभी शत्रु का भाई वहां आ पहुंचा लेकिन गुफा के मुंह पर मकड़ी का जाला बना देख वापस लौट गया। करीब आई हुई मौत तो वापस चली गई पर राजा को एक गहरे विचार में छोड़ गई। उसने सोचा- मकड़ी बार-बार गिरकर भी निराश और परास्त नहीं हुई तो मैं इंसान होकर भी क्यों डर रहा हूं। मैं भी जरूर अपने दुश्मनों को परास्त करूंगा। इस मकड़ी ने मेरा संकल्प मजबूत कर दिया है। यह सोचते ही वह गुफा से बाहर निकल गया। अब वह एक बदला हुआ आदमी था। उसने अपने साथियों को एकत्र किया और अंत में दुश्मनों पर जीत हासिल की।
सीख: हर परिस्थिति में कोशिश करते रहना चाहिए। कभी हार नहीं मानना चाहिए। हार न मानने वाले को एक दिन सफलता जरूर मिलती है।
हार के आगे जीत है।
एक समय की बात है। एक अजीब नाम का राजा था उसके राज्य का नाम ढोलकपुर था। एक बार उसकी लड़ाई दुश्मनों के साथ हुई और वह यह युद्ध में हार गया।
इस युद्ध की हार के कारण वेह डर गया थे। वह डर के एक गुफा में छुप गया यह पाठ से दुश्मन में उत्साह निर्माण हुआ। ढोलकपुर के सभी लोग भयभीत हो गए थे। तभी राजा ने गुफा में एक मकड़ी देखी। वह मकड़ी बार-बार कोशिश कर रही थी पर वह हर बार हार रही थी परंतु वह कभी हार मान नहीं रही थी। संत में मकड़ी की विजय हुई। तभी राजा को मकड़ी से प्रेरणा मिली। तभी उन्हें समझा कि 'मन में हार हार है, मन में जीत जीत है'।
तभी वह पूरी हीम्म से लड़ाई हो गए और वह युद्ध में विजई भी हुई। उन्हें ढोलकपुर का राजा फिर से घोषित किया गया और उन्हें राज्य का मुकुट पहनाया गया।
सीख: नीचे ते धरती है , पर ऊपर का कोई अंतर नहीं है। हार ना मानने वाले को एक दिन सफलता जरूर मिलती है।
HOPE IT WILL HELP YOU.