Hindi, asked by ravigautam707, 2 months ago

रार-बार सोचते क्या होगा उसकौम का उसे अपने देश की खातिर
घर गृहस्थी-जवानी -जिंगी सब मुहहोम देने वालों पर भी ध्यती है
और अपने लिए विषने के मौके टूटही है।मुखी धेगष्ट पन्छ दिन
बाद फिर उसी करने से गुजरे किस्बे में युसने से पहले ये क्याल
आज़ा कि कस्बे की हमस्कली में सुभाष की प्रतिमा अवश्य प्रतिष्ठा
पित होगी लेकिन सुभाष की आँखों फसमा नहीं होगा।... रोकि
मास्टर चस्मा लगाना भूल गया --
और कैप्टेन मा गमा सोचा
आजरा रुकेगेनी पान भी नहीं खाएंगे यति ची तरह गेभी
नहीं, सीधे निकल जाएंगे ड्राइवर से कर दिया, रािहे पर रुकना
मी आज काम है, पान आगे नहीं खा लेंगे।​

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Answered by boy4500
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what the heck us this?

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