िरिर: ककमि् न प्रयप्तवयनि् ? Sanskrit
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अभ्यासः (Exercise)
प्रश्न 1.
अधोलिखितानि प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत-(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक पद में लिखिए)
(क) नृणां संभवे कौ क्लेशं सहेते?
(ख) कीदृशं जलं पिबेत्?
(ग) नीतिनवनीतम् पाठः कस्मात् ग्रन्थात् सङ्कलित?
(घ) कीदृशीं वाचं वदेत्?
(ङ) उद्यानम् कैः निनादैः रम्यम्?
(च) दु:खं किं भवति?
(छ) आत्मवशं किं भवति?
(ज) कीदृशं कर्म समाचरेत्?
उत्तरम्:
(क) मातापितरौ
(ख) वस्त्रपूतम्
(ग) मनुस्मृतेः
(घ) सत्यपूताम्
(ङ) मृगगणद्विजैः
(च) परवशम्
(छ) सुखम्
(ज) मन:पूतम्
प्रश्न 2.
अधोलिखितानि प्रश्नानाम् उत्तराणि पूर्णवाक्येन लिखत-(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पूर्ण वाक्य में लिखिए)
(क) पाठेऽस्मिन् सुखदु:खयोः किं लक्षणम् उक्तम्?
(ख) वर्षशतैः अपि कस्य निष्कृतिः कर्तुं न शक्या?
(ग) “त्रिषु तुष्टेषु तपः समाप्यते” – वाक्येऽस्मिन् त्रयः के सन्ति?
(घ) अस्माभिः कीदृशं कर्म कर्तव्यम्?
(ङ) अभिवादनशीलस्य कानि वर्धन्ते?
(च) सर्वदा केषां प्रियं कुर्यात्?
उत्तरम्:
(क) पाठेऽस्मिन् सुखदु:खयोः लक्षणमस्ति-परवशं सर्वं दु:खम् आत्मवशं च सर्वं सुखम्।
(ख) वर्षशतैः अपि मातापितरौ नृणां सम्भवे यं क्लेशं सहेते तस्य निष्कृतिः कर्तुं न शक्या।
(ग) “त्रिषु तुष्टेषु तपः समाप्यते- वाक्येऽस्मिन त्रयः माता-पिता-आचार्याः सन्ति।
(घ) यत् कर्म कुर्वतः अस्य आत्मनः परितोष: स्यात् तत् कर्म अस्माभिः कर्तव्यम्।
(ङ) अभिवादशीलस्य आयुः, विद्या, यशः बलञ्च एतानि चत्वारि वर्धन्ते।
(च) सर्वदा माता-पिता-आचार्याणां प्रियं कुर्यात्।।
प्रश्न 3.
स्थूलपदान्यवलम्बय प्रश्ननिर्माणं कुरुत-(स्थूल पद का अवलम्बन करते हुए प्रश्न निर्माण कीजिए-)
(क) वृद्धोपसेविनः आयुर्विद्या यशो बलं न वर्धन्ते।
(ख) मनुष्य सत्यपूतां वाचे वदेत्।
(ग) त्रिषु तुष्टेषु सर्वं तपः समाप्यते।
(घ) मातापितारौ नृणां सम्भवे भाषया क्लेशं सहेते।
(ङ) तयोः नित्यं प्रियं कुर्यात्।।
उत्तरम्:
(क) कस्य आयुर्विद्या यशो बलं न वर्धन्ते?
(ख) मनुष्यः कीदृशीम् वाचे वदेत्?
(ग) त्रिषु तुष्टेषु सर्वं किम् समाप्यते?
(घ) कौ नृणां सम्भवे भाषया क्लेशं सहेते?
(ङ) कयोः नित्यं प्रियं कुर्यात्?