रुस के इतिहास से 9 जनवरी 1950ई. का क्या महत्व है
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रुस के इतिहास से 9 जनवरी 1905 ई. का क्या महत्व है?
रुस के इतिहास में 9 जनवरी 1905 ईस्वी का महत्व रविवार की खूनी क्रांति के रूप में कुख्यात है, जिसमें हजारों मजूदरो, महिलाओं और बच्चें की जाने गयीं थीं।
व्याख्या :
9 जनवरी 1905 को घटित हुई खूनी रविवार रूस के इतिहास से संबंधित एक घटना है, जिसमें रूस के तत्कालीन ज़ार ने अपने सैनिकों के माध्यम से शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे मजदूरों पर गोलियां बरसाई थी, जिससे हजारों मजदूर लोग मारे गए। यह घटना रविवार के दिन हुई थी इसी कारण इसे खूनी रविवार कहा जाता है।
उस समय रूस पर जार का निरंकुश शासन था और वह किसी भी आंदोलन को दबा कर रखता था। रूस क्रांतिकारी गतिविधियां बढ़ती जा रही थी और 1905 की क्रांति अपने चरम पर थी। ऐसे में प्रदर्शन कर रहे हजारों आंदोलनकारी जिसमें अधिकतर श्रमिक थे, उन श्रमिकों पर उनके बीवी बच्चों सहित हजारों रूसी सैनिकों ने गोलियां बरसाईं। इससे हजारों की संख्या में आंदोलनकारी पुरुष, महिला, बच्चे आदि मारे गए। यही घटना खूनी रविवार कहलाती है।
खुनी रविवार के नाम से ९ जनवरी १९०५ ई. के रूप में जाना जाता है।
खुनी रविवार का इतिहास:
- इस क्रांति को खुनी क्रांति भी कहा जाता है।
- इस दिन लाखो बच्चो, स्त्रीओ एवं मज़दूरों ने अपनी जाने गवाई थी।
खुनी रविवार के दिन घटित घटना:
- रूस के सैनिको ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे मज़दूरों पर बिना वजह गोलिया बरसाई गई।
- यह घटना रविवार के दिन घटित थी इस कारण खुनी रविवार कहा जाता है।
- इस समय रूस की क्रांति चरम सीमा पर थी।
- प्रदर्शन कर रहे मज़दूरों को बीवी बच्चो के सहित सैनिको द्वारा ह्त्या की गई।