Hindi, asked by sauryaraj62, 2 days ago

"र्सोत्रमः वरः" कहानी हिंदी में लिखे​

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Answered by SKSWARNGAMING002
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Explanation:

महाकवि कालिदास के अनुसार 'स्तोत्रं कस्य न तुष्टये' अर्थात् विश्व में ऐसा कोई भी प्राणी नहीं है जो स्तुति से प्रसन्न न हो जाता हो। इसलिये विभिन्न देवताओं को प्रसन्न करने हेतु वेदों, पुराणों तथा काव्यों में सर्वत्र सूक्त तथा स्तोत्र भरे पड़े हैं। अनेक भक्तों द्वारा अपने इष्टदेव की आराधना हेतु स्तोत्र रचे गये हैं। विभिन्न स्तोत्रों का संग्रह स्तोत्ररत्नावली के नाम से उपलब्ध है।

निम्नलिखित श्लोक 'सरस्वतीस्तोत्र' से लिया गया है-

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता

सा मां पातु सरस्वति भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥

स्तोत्रों की रचना मुख्यतः संस्कृत भाषा मे की गई है परन्तु सर्वसामान्य लोगों की सुविधा हेतु आधुनिक भाषाओं में भी स्त्रोत्र रचे गए हैं।

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