. रासायनिक ग्राहकों द्वारा हमें किस-किस की संवेदना होती है?
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किसी रासायनिक अभिक्रिया के सन्दर्भ में रासायनिक साम्य (chemical equilibrium) उस अवस्था को कहते हैं जिसमें समय के साथ अभिकारकों एवं उत्पादों के सांद्रण में कोई परिवर्तन नहीं होता। प्रायः यह अवस्था तब आती है जब अग्र क्रिया (forward reaction) की गति पश्चक्रिया (reverse reaction) की गति के समान हो जाती है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि अग्रक्रिया एवं पश्च क्रिया के वेग इस अवस्था में शून्य नहीं होते बल्कि समान होते हैं।
यदि उच्च ताप (५०० डिग्री सेल्सियस) पर किसी बंद प्रक्रिया पात्र में हाइड्रोजेन तथा आयोडीन को आण्विक अनुपात में साथ साथ रखा जाए, तो निम्नांकित क्रिया प्रारंभ होती है :
H2 + I2 --> 2HI
इस क्रिया में हाइड्रोजन तथा आयोडीन के संयोग से हाइड्रोजेन आयोडाइड बनता है तथा समय के साथ हाइड्रोजेन आयोडाइड की मात्रा में वृद्धि होती है। इस क्रिया के विपरीत, यदि शुद्ध हाइड्रोजेन आयोडाइड गैस को ५०० डिग्री सेल्सियस तक क्रियापात्र में गरम किया जाए, तो इस यौगिक का विपरीत क्रिया के द्वारा विघटन होता है, जिससे हाइड्रोजन आयोडाइड का हाइड्रोजन तथा आयोडीन में विघटन हो जाता है तथा इन उत्पादों के अनुपात में समय के साथ साथ वृद्धि होती है। यह क्रिया निम्नांकित रूप में होती हैं :
2HI --> H2 + I2
उपर्युक्त दोनों ही क्रियाओं में क्रिया की गति क्रमश: मंद होती जाती है और अंत में पूर्णत: स्थिर हो जाती है। रासायनिक क्रिया की इस स्थिति को रासायनिक साम्यावस्था कहते हैं। क्रिया के साम्यावस्था मिश्रण में उपर्युक्त पदार्थों की आपेक्षिक मात्रा एक ही रहती है, चाहे यह क्रिया हाइड्रोजेन और आयोडीन के संयोग से हाइड्रोजेन आयोडाइड बनाने की हो, अथवा हाइड्रोजेन आयोडाइड के विघटन से हाइड्रोजन तथा आयोडीन में पृथक्करण हो, अथवा तीनों संघटकों के साम्यावस्था संतुलन मिश्रण की प्रक्रिया हो, जिसमें हाइड्रोजेन तथा आयेडीन परमाणुओं की समान संख्या उपस्थित रहती है। इसके अतिरिक्त प्रयोगशाला के परिणामों में यह पाया जाता है कि चाहे हाइड्रोजेन तथा आयोडीन के परमाणुओं की समस्त संख्या समान हो अथवा नहीं, दोनों ही दशाओं में समान ताप पर तैयार किए हुए साम्यावस्था मिश्रणों की सामयावस्था सांद्रता, अथवा साम्यावस्था दबाव के निम्नांकित अनुपातों का मान, स्थिर रहता है.
निम्नलिखित सामान्य अभिक्रिया को लेते हैं-
aA + bB {\displaystyle \rightleftharpoons }{\displaystyle \rightleftharpoons } yY + zZ ,
जहाँ A, B, Y और Z अभिक्रिया के भाग लेने वाले रसायन हैं तथा a, b, y और z और A संतुलित अभिक्रिया में अणुसंख्या है, तो :
{\displaystyle K_{c}={\frac {[{\mbox{Y}}]^{\mbox{y}}\cdot [{\mbox{Z}}]^{\mbox{z}}}{[{\mbox{A}}]^{\mbox{a}}\cdot [{\mbox{B}}]^{\mbox{b}}}}}{\displaystyle K_{c}={\frac {[{\mbox{Y}}]^{\mbox{y}}\cdot [{\mbox{Z}}]^{\mbox{z}}}{[{\mbox{A}}]^{\mbox{a}}\cdot [{\mbox{B}}]^{\mbox{b}}}}}
K_c इस अभिक्रिया का (सान्द्रता) का साम्यावस्था नियतांक कहते हैं। उपर्युक्त समीकरण में यदि गैसें सम्मिलित हों तो उनके मोलर सान्द्रण के स्थान पर उनका आंशिक दाब भी लिया जा सकता है तथा इस प्रकार प्राप्त साम्यावस्था नियतांक को Kp कहते हैं।
उदाहरण
2 SO2(g) + O2(g) {\displaystyle \rightleftharpoons }{\displaystyle \rightleftharpoons } 2 SO3(g)
इस अभिक्रिया का साम्यावस्था नियतांक निम्नलिखित प्रकार से अभिव्यक्त किया जायेगा-:
{\displaystyle K_{c}={\frac {[{\mbox{SO}}_{\mbox{3}}]^{\mbox{2}}}{[{\mbox{SO}}_{\mbox{2}}]^{\mbox{2}}\cdot [{\mbox{O}}_{\mbox{2}}]}}}{\displaystyle K_{c}={\frac {[{\mbox{SO}}_{\mbox{3}}]^{\mbox{2}}}{[{\mbox{SO}}_{\mbox{2}}]^{\mbox{2}}\cdot [{\mbox{O}}_{\mbox{2}}]}}}
सभी प्रकार की रासायनिक क्रियाओं में उपर्युक्त सिद्धांत लागू होते हैं, परंतु अनेक क्रियाओं में साम्यावस्था की दशा में क्रिया में भाग लेनेवाले तथा वचनेवाले उत्पादों की मात्रा इतनी कम होती है कि क्रिया की अपूर्णता का परीक्षणों द्वारा अनुमापन नहीं किया जा सकता है।
अनेक प्रकार की भौतिकीय साम्यावस्थाएँ, जैसे द्रव तथा वाष्प, विलयन तथा अविलेय विलेय के मध्य स्थापित साम्यावस्था रासायनिक साम्यावस्था के सदृश्य होती हैं, परंतु इनमें रासायनिक क्रियाओं के स्थान पर विपरीत आणविक स्तर की क्रियाएँ होती हैं। भौतिकीय साम्यावस्था में भी साम्यावस्था नियतांक का उपर्युक्त रीति से निर्धारण किया जा सकता है।
भौतिकीय रासायनिक साम्यावस्था के सिद्धांत का निरूपण ऊष्मागतिकी से किया जाता है। ऊष्मागतिकी के प्रथम तथा द्वितीय नियम के आधार पर किसी तत्व के पृथक् भाग अथवा तंत्र में, जिसे स्थिर ताप तथा स्थिर दबाव पर रखा गया हो तथा जिसमें भौतिकीय रासायनिक साम्यावस्था स्थापित हो चुकी हो, स्वतंत्र ऊर्जा F न्यूनतम हो जाती है। आंतरिक ऊर्जा E तथा दबाव p और आयतन v के गुणनफल को जोड़ने पर तथा योगफल में से ताप T तथा एंट्रोपी (Entropy) (S) के गुणनफल से प्राप्त राशि को घटा देने से शेष राशि F के बराबर होती है। अत: F = E + pv - TS . उपर्युक्त दशा में स्वतंत्र ऊर्जा का परिवर्तन चाहे कार्य हो अथवा नहीं, दोनों ही परिस्थितियों में समान होता है।
साम्यावस्था नियतांक का सामान्य समीकरण निम्नांकित होता है:
{\displaystyle \Delta G^{\circ }=-{\text{R}}T\cdot \ln K}{\displaystyle \Delta G^{\circ }=-{\text{R}}T\cdot \ln K}
जहाँ,
R = सार्वत्रिक गैस नियतांक = 8,31447 J·K−1·mol−1
K = साम्यावस्था नियतांक
T = ताप, केल्विन में
{\displaystyle \Delta G^{\circ }}{\displaystyle \Delta G^{\circ }} = प्रामाणिक अवस्था में स्वतंत्र ऊर्जा के ह्रास को व्यक्त करता है; प्रामाणिक अवस्था में सामान्यत: दबाव p एक वायुमंडलीय दबाव के बराबर होता है.
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