रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग क्यों हानिकारक है
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रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक है। इनके इस्तेमाल से कई समस्याओं से लड़ना पड़ता है।
- कई सालों से रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग किआ जा रहा है ताकि मिटटी की उपजाऊ को बढ़ाया जा सके। जैविक उर्वरक का इस्तेमाल करना तब बंद हुआ जब रासायनिक उर्वरक को लाया गया। परन्तु इसके कारण फसलें कम होने लगी और मिटटी को भी काफी नुक्सान पहुंचने लगा। जब यह उर्वरक पानी से मिल जाता है तो इसकी वजह से जल की ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। इसकी वजह से पानी में रहते जीवों की मृत्यु हो जा रही है।
- रासायनिक उर्वरक का ज़्यादा इस्तेमाल करने से पत्तों का रंग भी उतरने लगता है जिसकी वजह से वे पीले लगने लगते है। मिटटी की प्राकृतिक पोषक तत्व पेड़ और पौधों के लिए ज़रूरी है। परन्तु रासायनिक उर्वरक की वजह से इन प्राकृतिक तत्वों को भी नुक्सान होता है। इनकी वजह से कई बीमारियां भी शरीर में प्रवेश कर जाती है।
#SPJ3
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मिश्रित खादों के अधिक उपयोग से पासों की छाया भी गिरने लगती है जिससे वे पीले पड़ने लगते हैं।
क्यों हानिकारक है?
- मिट्टी के नियमित पूरक पेड़ और पौधों के लिए मौलिक हैं।
- फिर भी, मिश्रित खाद के कारण इन सामान्य घटकों को भी नुकसान होता है।
- इनकी वजह से कई तरह की बीमारियां भी शरीर में प्रवेश कर जाती हैं।
- सिंथेटिक कम्पोस्ट के उपयोग के कारण गंदगी में कितना संक्षारक है, इसके विस्तार के साथ, वर्तमान में जस्ता और बोरॉन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी है।
- इसका अमित्र प्रभाव गंदगी पर पड़ रहा है, यह लोगों की भलाई को भी प्रभावित कर सकता है।
- बिल्कुल कृत्रिम खाद के बढ़ते उपयोग से उपज में भी इजाफा हुआ है, लेकिन इससे खेत, खेती और जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
- गंदगी का फल कम होता जा रहा है।
- एंटासिड मिट्टी के कारण पैदावार कम हो रही है। - यूरिया और डीएपी जैसी कम्पोस्ट के अत्यधिक उपयोग के कारण गंदगी से नियमित घटक नष्ट हो रहे हैं।
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