रिश्तों की गर्मी धूमिल हो सकती है लेकिन मिटती नहीं । ' हरिहर काका पाठ के आधार पर इस कथन पर अपने विचार लिखिए । pls answer in brief.....I will make u brainliest
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रिश्तों में दरार आ सकती है लेकिन मिट नहीं सकते |
हरिहर काका पाठ के आधार पर इस कथन पर मेरे विचार इस प्रकार है :
यदि मेरे आसपास कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसकी हालत हरिहर काका जैसी हो तो मैं उसकी पूरी तरह मदद करने की कोशिश करूंगी । उनकी सहायता करूंगी और उन्हें कभी अहसास नहीं होने दूंगी की वह अकेले है|
उन्हें विश्वास करवाउंगी की सब मनुष्य एक जैसे नहीं होते लालची , कुछ लोग अच्छे भी होते है जो सब की भलाई के बारे में सोचते है| रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलकर उनके संबंध सुधारने का प्रयत्न करूंगी | हमेशा उनका साथ दूंगी|
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हरिहर काका के विरोध में मंहत और पुजारी ही नहीं भाई भी थे। इसका कारण क्या था? हरिहर काका उनकी राय क्यों नहीं मानना चाहते थे। विस्तार से समझाइए।
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