Hindi, asked by inayat92, 11 months ago

रिश्तो से मनुष्य का जन्मजात संबंध है बच्चे के पैदा होते ही उसके रिश्ते बन जाते हैं और फिर इनका आजीवन कभी अंत नहीं होता रिश्ते एक तरह से पतंग है और डोर के समान हैं। जिस तरह से ढील देने पर पतंग काफी ऊंचाई पर पहुंच की नजर आती है और तेज हवा के बाहों में थोड़ा ज्यादा खींचते ही कट जाती है उसी तरह रिश्तो के मामले में अपना ही रौब झाड़ने अपनी बात तो अपने और मर्जी सबके ऊपर चलाने के बजाय यदि सबको अपनी मर्जी से जीवन जीने दिया जाए तो शायद यह रिश्ता ज्यादा अच्छे ढंग से नहीं सकेंगे किंतु यहां अति सर्वत्र वर्जित को भी ध्यान में रखना आवश्यक है इस कारण आप अपने किसी प्रियजन के अनुचित निर्णय पर उसे सलाह देने सचेत करने आदि का अधिकार अपने पास अवश्य रखें ऐसा करने में कुछ भी अनुचित नहीं है बल्कि यही हितकारी है। निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दें-1) रिश्तो का निर्वाह कब अच्छे ढंग से हो पाता है? 2)शास्त्रों के अनुसार कैसे व्यवहार को नजदीकी रिश्तो में अनुचित नहीं कहा जा सकता? 3) गद्यांश में अति सर्वत्र वर्जित का प्रयोग क्या बताने के लिए किया गया है? 4) रिश्तो से मनुष्य का कैसा संबंध बताया गया है? 5) उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।​

Answers

Answered by rp451702
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Answer:

क) सबको उनकी मर्जी से जिने दे समय पड़ने पर सचेत और सलाह देने का अधिकार अपने पास रखें

ख) अनुचित निर्वाह पर सलाह देना या सचेत करना

ग)अति सब जगह होती है

घ)जन्म जात और आजीवन

ड) मनुष्य का जीवन और भी हो सकते हैं

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