Hindi, asked by hrishikesh580, 3 months ago

रिश्वतखोर द्वारपाल कहानी लेखन
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Answered by sandeeppandey55721
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                  रिश्वतखोर द्वारपाल  

महेश दास अकबर के राज्य का एक नागरिक था और वो बहुत चतुर इन्सान था | एक दिन अकबर शिकार करते हुए जंगल में रास्ता भटक गये तब महेश दास ने उनको रास्ता दिखाने में सहायता की | अकबर ने प्रसन्न होकर उन्हें अपनी अंगूठी उपहार में दे दी | अकबर ने उसे कहा कि जब भी उसे कुछ काम हो तो उस अंगूठी को दिखाकर दरबार में आने और उसे दरबार में आने पर ओर इनाम देने की बात कही |

कुछ दिनों बाद महेश दास राजा के दरबार में गया लेकिन द्वारपाल  ने उसे अंदर जाने से मना कर दिया | महेश दास ने उसको राजा की अंगूठी बताई तब उस द्वारपाल ने सोचा शायद ये बालक अवश्य राजा से ओर इनाम लेकर आएगा | उस लालची द्वारपाल ने उसे एक शर्त पर दरबार में जाने की अनुमति दी अगर वो बादशाह द्वारा दिए इनाम का आधा हिस्सा उसको दे | महेश दास ने द्वारपाल की इस शर्त को स्वीकार कर लिया |

महेश दास ने दरबार में प्रवेश किया और राजा को वो अंगूठी बताई | राजा ने महेश दास को पहचान लिया और पूछा "अरे बालक , तुम हिंदुस्तान के राजा से क्या इनाम चाहते हो " |तब महेश दास ने कहा "मुझे इनाम में 50 कोडे  चाहिए " | महेश दास की ये बात सुनकर दरबारी चकित रह गये और सोचने लगे कि ये बालक पागल है | अकबर ने विचार किया और उसे इसका कारण पूछा | महेश दास ने कहा कि इनाम पूरा मिल जाने पर वो उनको कारण बता देगा | राजा ने महेश दास को कोड़े मारना आरम्भ किया और 25 कोड़े होते ही उसने द्वारपाल को बुलाने की अनुमति मांगी |

उस द्वारपाल को बुलाया गया | द्वारपाल मन ही मन खुश हो रहा था कि उसे भी इनाम मिलेगा | महेश दास ने राजा को कहा "जहापनाह ! इस द्वारपाल ने मुझे अंदर आने के लिए इनाम की आधी रकम लेने की शर्त रखी थी और इसलिए वादे के मुताबिक बाकी के 25 कोड़े इस द्वारपाल को लगाये जाये " | राजा ने उस द्वारपाल को 25 कोड़े लगवाए और 5 वर्ष के लिए कारावास में डाल दिया  | राजा महेश दास की बुद्धिमता से काफी प्रसन्न हुआ और उसने अपने दरबार में शामिल होने का न्योता दिया | यही महेश दास आगे चलकर बीरबल के नाम से प्रसिद्ध हुआ |

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