Social Sciences, asked by sanjuthakur44867, 6 months ago

रेशम कीट का व्यवसायिक पालन करना
क्या है​

Answers

Answered by Anonymous
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Answer:

कच्चा रेशम बनाने के लिए रेशम के कीटों कापालन सेरीकल्चर या रेशम कीट पालन कहलाता है। रेशम उत्पादन का आशय बड़ी मात्रा में रेशमप्राप्त करने के लिए रेशम उत्पादक जीवों कापालन करना होता है। इसने अब एक उद्योग का रूप ले लिया है। यह कृषि पर आधारित एक कुटीर उद्योग है।

Answered by Arpita1678
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Explanation:

कच्चा रेशम बनाने के लिए रेशम के कीटों का पालन सेरीकल्चर या रेशम कीट पालन कहलाता है। रेशम उत्पादन का आशय बड़ी मात्रा में रेशम प्राप्त करने के लिए रेशम उत्पादक जीवों का पालन करना होता है। इसने अब एक उद्योग का रूप ले लिया है। यह कृषि पर आधारित एक कुटीर उद्योग है। इसे बहुत कम कीमत पर ग्रामीण क्षेत्र में ही लगाया जा सकता है। कृषि कार्यों और अन्य घरेलू कार्यों के साथ इसे अपनाया जा सकता है। श्रम जनित होने के कारण इसमें विभिन्न स्तर पर रोजगार का सृजन भी होता है और सबसे बड़ी बात यह है कि यह उद्योग पर्यावरण के लिए मित्रवत है। अगर भारत की बात करें तो रेशम भारत में रचा बसा है। हजारों वर्षों से यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का अंग बन चुका है। कोई भी अनुष्ठान किसी न किसी रूप में रेशम के उपयोग के बिना पूरा नहीं माना जाता। रेशम उत्पादन में भारत विश्व में चीन के बाद दूसरे नंबर पर आता है। रेशम के जितने भी प्रकार हैं, उन सभी का उत्पादन किसी न किसी भारतीय इलाके में अवश्य होता है। भारतीय बाजार में इसकी खपत काफी ज्यादा है। विशेषज्ञों के अनुसार रेशम उद्योग के विस्तार को देखते हुए इसमें रोजगार की काफी संभावनाएं हैं। फैशन उद्योग के काफी करीब होने के कारण उम्मीद की जा सकती है कि इसकी डिमांड में कमी नहीं आएगी। पिछले कुछ दशकों में भारत का रेशम उद्योग बढ़ कर जापान और पूर्व सोवियत संघ के देशों से भी ज्यादा हो गया है, जो कभी प्रमुख रेशम उत्पादक देश हुआ करते थे। भारत रेशम का बड़ा उपभोक्ता देश होने के साथ-साथ पांच किस्म के रेशम- मलबरी, टसर, ओक टसर, एरि और मूंगा सिल्क का उत्पादन करने वाला अकेला देश है। मूंगा रेशम के उत्पादन में भारत का एकाधिकार है। यह कृषि क्षेत्र की एकमात्र नकदी फसल है, जो 30 दिन के भीतर प्रतिफल प्रदान करती है। रेशम की इन किस्मों का उत्पादन मध्य और पूर्वोत्तर भारत के जनजातीय लोग करते हैं और यहां चीन से भी ज्यादा मलबरी कच्चा सिल्क और रेशमी वस्त्र बनता है। रेशम का मूल्य बहुत अधिक होता है और इसके उत्पादन की मात्रा बहुत ही कम होती है। विश्व के कुल कपड़ा उत्पादन का यह केवल 0.2 फीसदी ही है। रेशम आर्थिक महत्त्व का मूल्यवर्द्धित उत्पाद प्रदान करता है।

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