रेशम उत्पादकों का उदाहरण देते हुए बताएं कि आदिवासी बाजार व व्यापारियों को अपना दुश्मन क्यों मानते थे?
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व्यापारी बेचने की चीजें लेकर आते थे और भारी कीमत पर चीजें बेचते थे। सूदखोर महाजन भी आदिवासियों को कर्जा तो देते थे लेकिन उसका ब्याज बहुत ज्यादा होता था। इस तरह बाजार और वाणिज्य ने आदिवासियों को कर्ज और गरीबी में ढकेल दिया था। लिहाजा, वे महाजनों और व्यापारियों को बाहरी शैतान और अपनी सारी मुसीबतों की जड़ मानने लगे थे।
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