रेशम उद्योग में श्रमिकों को कौन-कौन सी स्वास्थ्य समस्याएँ आती हैं?
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Explanation:
यह बीमारी पूरे साल में कभी भी हो सकती है, लेकिन गर्मी और बरसात के मौसम में इसका प्रकोप बढ़ जाता है। उत्पादक (कारक) एजेंट है बॉम्बिक्स मोरी न्यूक्लियर पॉलीहेड्रोसिस वायरस | संक्रमण का स्रोत शहतूत के दूषित पत्तों को खाने की वजह से रेशम का कीट संक्रमित हो जाता है। ग्रासेरी लार्वा द्वारा छोड़ा गया दूधिया सफेद तरल पदार्थ, रेशमकीट के दूषित पालन घर और उपकरण संक्रमण का स्रोत हैं। पहले से ज्ञात कारण है उच्च तापमान, कम नमी और कम गुणवत्ता वाली शहतूत की पत्तियां।
रोग का कारक
बोरोलिना वायरस
रोग फैलने का कारण
प्रदूषित वातावरण
अनुपयुक्त शहतूत पत्ती
कीटों का उचित फैलाव न होना
कीटपालन कक्ष का तापक्रम एवं अपेक्षित आर्द्रता का अधिक होना।
रोग के लक्षण
रेशम कीट का शरीर फूलना
त्वचा का मुलायम होना
दूधिया शरीर एवं फोड़ने से दूधिया द्रव का निकलना
रेशम कीटों का कीटपालन बेड से निकलकर घूमना
कीटों की मृत्यु।
रोग का प्रबंधन
किसी भी अनुमोदित कीटाणुनाशक से पालन घर उसके आसपास की जगह और उपकरणों का पूरी तरह से कीटाणुरहित करें।
पिछली फसल में रोग की उच्च दर देखी गई हो तो 0.3 प्रतिशत शमित चूने के घोल के साथ एक वैकल्पिक कीटाणुशोधन करें।
व्यक्तिगत और पालन में स्वच्छता का अभ्यास करें।
रोगग्रस्त लार्वा एकत्र करें और इसके उचित निपटान को सुनिश्चित करें।
पालन घर में इष्टतम तापमान और नमी बनाए रखें।
गुणवत्ता युक्त शहतूत की पत्ती खिलाएं और अत्यधिक भीड़ से बचने की कोशिश करें।
समय और मात्रा के अनुसार अनुमोदित बिस्तर कीटाणुनाशक का प्रयोग करें।
ग्रासेरी रोग के नियंत्रण कार्यक्रम के अनुसार एमर्थ खिलाएं।