राष्ट्र एक ऐसा शब्द है, जिसमें एक नागरिक का संपूर्ण अस्तित्व समाहित होता है। व्यक्ति सर्वप्रथम, सामाजिक व पारिवारिक प्राणी न होकर एक राष्ट्रीय नागरिक होता है। उसका पहला कर्तव्य अपने राष्ट्र के प्रति होता है। अत: हम सभी सभी को अपने राष्ट्र धर्म का पालन सर्वप्रथम करना चाहिए। सर्वप्रथम तो हमें ईश्वर का शुक्रगुजार होना चाहिए, जिसने हमें भारत की महान भूमि का एक हिस्सा बनाया। यह भूमि विश्व की सर्वप्रथम, मानव इतिहास की जननी, यह भूमि मानवता को पूर्ण रूप से अभी को चरितार्थ करती है। एक शिक्षक के ²ष्टिकोण से हमारा प्रथम कर्तव्य योग्य बालकों का निर्माण करना है, क्योंकि एक राष्ट्र का भविष्य उसके छात्र होते हैं। अत: यदि हम छात्रों को प्रारंभ से ही उचित शिक्षा के साथ सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास करते हुए नागरिक कर्तव्यों का बोध कराते हैं तो उज्ज्वल होगा व किसी भी बाहरी ताकत की हिम्मत हमारे राष्ट्र पर गलत निगाह डालने की नहीं होगी। एक नागरिक के नाते हमारा कर्तव्य देश की एकता की भावना को बरकरार रखना है, जिसके द्वारा हम प्रगति के साथ-साथ मानव जाति को भी एक बराबर का हम प्रदान कर सके। हमारा कर्तव्य राष्ट्र को भाषायी स्तर पर एक रूप में प्रस्तुत करना होना चाहिए। 'भारत विविधता में एकता' का राष्ट्र है। अत: हम सभी को सभी भाषा के लोगों को बराबर सम्मान करना चाहिए।
हम सदैव अपने अधिकारों की, अपने हक की आवाज बहुत जोर शोर से उठाते हैं, लेकिन हम कभी अपने उत्तरदायित्वों जो कि किसी भी राष्ट्र के नागरिक का प्रथम कर्तव्य होता है कि बात भी नहीं करते जबकि यदि हम अपने-अपने कर्तव्यों को पालन निष्ठापूर्ण राष्ट्रहित में करें तो स्वत: ही अधिकार मिल जाते हैं। क्या हम कभी स्वच्छ भारत मिशन अभियान, राष्ट्रीय शिक्षा अभियान, वैज्ञानिक अभियान, राष्ट्रीय दिवस को एक नागरिक की भावना से आयोजित करना, अपने व्यवसायिक कर्तव्यों में राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, राष्ट्रीय खेल नीति आदि-आदि में एक नागरिक के रूप में सम्मिलित हुए? क्या कभी हमने स्वयं से पहले, स्वयं की संपत्ति से पहले राष्ट्रीय संपत्ति का, राष्ट्र की धरोहर राष्ट्र की आवश्यकता के बारे में सोचा? यह एक गंभीर विचारणीय प्रश्न है कि आज भी हम उसी सोच व विचारों को सोचते हैं, जिनकी वजह से कभी हम भिन्न-भिन्न लोगों, धर्मों, देशों के द्वारा गुलाम बनाए गए। अब्राहम ¨लकन ने कहा था कि किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी ताकत उस राष्ट्र के नागरिक होते हैं। अत: हम सभी को मिलकर राष्ट्रीय अभियानों, मतदान का प्रयोग शासन द्वारा संविधान द्वारा बनाए गए सभी नियमों का पालन, शिक्षा का प्रचार-प्रसार, गरीबों की मदद, देश के वीर सैनिकों का सम्मान, महापुरुषों का सम्मान, राष्ट्रीय दिवसों को भी एक पारिवारिक त्योहार के रूप में मनाना, असामाजिक तत्वों का सामाजिक बहिष्कार करना, सामाजिक व राष्ट्रीय एकता को बनाए रखना आदि अनेकों ऐसे कर्तव्य व उत्तरदायित्व हैं, जिनको यदि हम निष्ठापूर्वक पूर्ण करते हैं तो नि:संदेह हम भारतीय सभ्यता के उस स्वर्णिमकाल को वापस प्राप्त कर सकते हैं जो कभी हमारा स्वर्णिम इतिहास बनकर संपूर्ण विश्व में अपना प्रकाश फैला रहा है।
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yeah it's very true... Perfect.... 100percent
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