राष्ट्र के प्रति हमारा करततवय पर निबंध
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एक सच्चा नागरिक जरुरी नहीं कि आंदोलनकारियों के साथ आज़ादी पाने के लिए ही लड़े । सही मायनों में एक सच्चा देशभक्त अपने नाम की सार्थकता को सिद्ध करता है। राष्ट्र मात्र सीमाओं से बंधे भूखण्ड का नाम नहीं होता। राष्ट्र बनता है अपने लोगों से, सभ्यता से, संस्कृति से, वहाँ के जीव-जन्तुओं से, नदियों से पहाड़ों आदि से। जो व्यक्ति अपने राष्ट्र की हर वस्तु से प्रेम करता है, सही मायनों में वही सच्चा देशभक्त और नागरिक कहलाता है। एक राष्ट्र में रहते हुए हम उसके प्रति अपने कर्तव्यों को भुल जाते हैं। हमारी ज़िम्मेदारियाँ हमारे परिवार तक और घरों तक सिमट कर रह जाती है। एक सच्चा नागरिक राष्ट्र के प्रति हमारी हमारी उन्हीं ज़िम्मेदारियों को हमें याद दिलाता है। ऐसे नागरिक राष्ट्र का गौरव कायम रखने का प्रयास करते हैं। वे देश की वस्तुओं का ध्यान रखते हैं। उन्हें नष्ट नहीं होने देते। देश में अंदर उपजे भ्रष्टाचार, गरीबी, अशिक्षा आदि के लिए भी प्रयासरत रहते हैं। उनका पूरा प्रयास रहता है कि वह कुछ ऐसा करे, जिससे उनका राष्ट्र विकास करे। अन्ना हज़ारे जी ने जिस तरह भ्रष्टाचार को मिटाने का बीड़ा उठाया वह काबिले तारिफ था। उन्होंने इस प्रकार कार्य किया कि पूरा भारत उनकी इस मुहिम में उनके साथ जुड़ गया। यह एक सच्चे नागरिक का कर्तव्य है। परन्तु विडंबना देखिए कि ऐसे लोग बहुत कम ही देखने को मिलते हैं । एक देश के सच्चे नागरिक वहीं हैं जिन्हें अपने देश से और उनसे जुड़ी हर वस्तु से प्यार हो और उनके प्रति समर्पित भाव हो।
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देश के प्रति कर्तव्य नैतिक प्रतिबद्धता है और सभी व्यक्ति या समूह जिम्मेदारियों का प्रदर्शन कर रहे हैं। इसे देश के प्रत्येक नागरिक को समझना होगा। भारत एक ऐसा देश है जो ‘अनेकता में एकता’ को मानता है, जहां एक से अधिक धर्मों, जातियों, पंथों और भाषाओं के लोग एक साथ रहते हैं। यह एक ऐसा देश है जो अपनी संस्कृति, परंपरा और ऐतिहासिक विरासत के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है, लेकिन फिर भी इसे अपने नागरिकों की गैरजिम्मेदारी के कारण विकासशील देश के रूप में गिना जाता है।
अमीर और गरीब लोगों के बीच एक बड़ी खाई है। अमीर लोग गरीब लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझते और करते हैं। वे देश में आर्थिक विकास की अपनी जिम्मेदारी को भूल जाते हैं जो देश से गरीबी को समाप्त करके संभव है। देश में चल रहे सामाजिक मुद्दों, भ्रष्टाचार, बुरी राजनीति, आदि को दूर करने के लिए सभी को पिछड़े लोगों की मदद करनी चाहिए। देश के प्रति निष्ठावान और निस्वार्थ कर्तव्य का एक बहुत अच्छा उदाहरण भारतीय सैनिकों द्वारा सीमाओं पर किया गया कर्तव्य है।
वे हमें और हमारे देश को प्रतिद्वंद्वियों से बचाने के लिए 24 घंटे खड़े रहते हैं। वे नियमित रूप से अपना कर्तव्य निभाते हैं, यहां तक कि वे आदेशों पर विभिन्न बड़ी समस्याओं का सामना करते हैं। वे अपने प्रियजनों से दूर हैं और उन्हें आराम और लक्जरी जीवन नहीं मिलता है। हालांकि, हमारे जीवन में सभी मूलभूत सुविधाएं प्राप्त करने के बावजूद, हम अपनी छोटी जिम्मेदारियों जैसे कि स्वच्छता, नियमों का पालन करना, आदि का प्रदर्शन करने में असमर्थ हैं।