Political Science, asked by 1sahil99, 1 month ago

राष्ट्रीय आपातकाल के कोई चार सबक लिखिए। long answer​

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Answered by jtanisha922
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Answer:

आपातकाल के उन दिनों में प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया ने भी देश के आम नागरिकों का साथ देने का ऐतिहासिक अवसर गंवा दिया था. तब की तानाशाह सरकार के आगे उन्होंने भी घुटने टेक दिए थे.

रामनाथ गोयनका का इंडियन एक्सप्रेस, द स्टेट्समैन और मेनस्ट्रीम जैसे कुछ ही मीडिया संस्थान तब अपवादों में से थे जिन्होंने सरकार की नीतियों का विरोध किया.

लालकृष्ण आडवाणी ने इसका प्रभावशाली रूप से वर्णन करते हुए कहा, "मीडिया तो रेंगने लगी जबकि उन्हें केवल झुकने को कहा गया था."

छीने गए जनता के मूल अधिकार

आपातकाल के उन दो वर्षों के दौरान देश की यह दुखद स्थिति थी. भारतीय संविधान और यहां के क़ानून में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट को ऐसे किसी भी संशोधन की जांच करने से रोक दिया गया था.

इसके परिणामस्वरूप, सरकार को भारत के पवित्र संविधान और यहां के लोगों की ज़िंदगी और उनकी स्वतंत्रता के साथ कुछ भी करने की आज़ादी मिल गई थी.

ये सब कुछ किया गया आपातकाल के दौरान एक तानाशाही सरकार को बनाए रखने के इरादे से जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने, अपने अन्य ग़लत कामों और नाकामयाबियों के कारण जनता के क्रोध के निशाने पर थी.

जनता के मूल अधिकार छीन लिए गए, उनकी स्वतंत्रता पर रोक लगा दी गई, तानाशाही शासन के द्वारा अपने मनचाहे तरीके से संविधान को ग़लत ढंग से परिभाषित किया गया. और ये सब किया गया आपातकाल के नाम पर. आपातकाल से देश को मिले सबक से सीखने के लिए कई बातें हैं.

आज देश के मौजूदा समाज में 1977 के बाद जन्मे लोगों का प्रभुत्व है. यह देश उनका है. उन्हें अपने देश के इतिहास और ख़ास कर उन दिनों लगाए गए आपातकाल के कारणों और उसके परिणामों से अवगत होने की ज़रूरत है.

1975 में जनता को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित किए जाने का कोई औचित्य नहीं था. लेकिन बेबुनियाद आंतरिक अशांति को देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा बता कर आपातकाल लगा दिया गया. वास्तव में अशांति यह थी कि देश की जनता भ्रष्ट नेताओं से ऊब चुकी थी और पूरे देश में न्यू इंडिया के लिए लोग संगठित हो कर व्यवस्था में आमूल बदलाव के लिए अपनी ज़ोरदार आवाज़ उठाने लगे थे.

संयोगवश, उन्हीं दिनों इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री के चुनाव को अवैध घोषित करने का अपना ऐतिहासिक फ़ैसला दिया.

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