Hindi, asked by sabirsaiyad270, 21 days ago

राष्ट्रीय चेतना राष्ट्रप्रेम ll​

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Answered by preetampriya36
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राष्ट्र 'और 'चेतना' दोनो स्वतंत्र शब्द हैं जिसके मेल से एक महान शक्ति उद्भित होकर राष्ट्रीयता ,राष्ट्रीय भावना अथवा राष्ट्रीय चेतना का स्वरूप धारण करती है। यही भावना साहित्य में स्वर और सुर बनकर फूट पड़ती है और अनंतर प्रवाहित होती रहती है। इससे जनमानस में सामूहिक चेतना का निर्माण होता है। “देश भक्ति का उद्वेलन कभी समर्पण तो कभी आंदोलन का रूप धारण कर लेता है, जिससे व्यक्ति के स्वत्व से लेकर राष्ट्र तथा देश की स्वतंत्रता और समानता की सुरक्षा के लिए सर्वस्व समर्पण तक के भाव समाविष्ट होते हैं।"1 यहां यह जान लेना आवश्यक है कि राष्ट्र सर्वथा आधुनिक संकल्पना नहीं है। इसका संबंध बहुत प्राचीन है। यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। यूं कहें तो यह हमारी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। इसका संस्कृति से अन्योन्याश्रित संबंध है। साहित्य भी उसी संस्कृति का एक अंग है । यह परस्पर एक दूसरे में गुथे हुए होते हैं,जिससे जनमानस में राष्ट्रीय चेतना को उत्तेजित तथा सुदृढ़ करने में सहायता मिलती है। इस पुनीत कार्य हेतु साहित्य सदैव अग्रणी की भूमिका में रहा है।

Answered by aarohiKaushal
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