History, asked by sonarpriya823, 7 hours ago

राष्ट्रीय कूट के उदय के बारे में एक निबंध लिखें​

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Answered by kanwarrajneesh
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राष्ट्रकूट
कन्नड़ मूल के थे और उनकी मातृभाषा कन्नड़ थी। राष्ट्रकूट वंश की स्थापना 8 वीं सदी में दन्तिदुर्ग द्वारा की गयी थी। उसने डेक्कन में राष्ट्रकूटों को एक सर्वोच्च शक्ति के रूप में स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उसने गुर्जरों को हराने के बाद मालवा पर आधिपत्य कर लिया था। उसने कीर्तिवर्मन द्वितीय को भी पराजित कर चालुक्य राज्य पर आधिपत्य स्थापित कर लिया था।

उसका उत्तराधिकारी कृष्ण प्रथम था जो एक महान साम्राज्य निर्माता था। कृष्ण प्रथम ने वेंगी के पूर्वी चालुक्यों और गंगों के खिलाफ विजय प्राप्त की थी। उसे एलोरा की चट्टानों को काटकर विशालकाय कैलाश मंदिर के निर्माण के लिए जाना जाता है। उसका उत्ताराधिकारी गोविंदा तृतीय रहा था।

अमोघवर्ष प्रथम (815-880 ईस्वी) गोविंदा तृतीय का उत्तराधिकारी बना जिसका शासनकाल अपने सांस्कृतिक विकास के लिए लोकप्रिय था। उसने जैन धर्म का पालन किया। वह कन्नड़ भाषा लिखित एक प्रसिद्ध पुस्तक कविराजमार्ग का भी लेखक था। वह राष्ट्रकूट राजधानी मलखेड या मन्याखेड़ का भी वास्तुकार था।

अमोघवर्ष प्रथम का उत्तराधिकारी कृष्ण तृतीय (936-968 ईस्वी) बना था। जिसे पड़ोसी राज्यों के खिलाफ अपने विजयी अभियान के लिए जाना जाता था। उसने तक्कोतम में चोलों के खिलाफ विजय प्राप्त की थी।

उसने तंजौर के साथ-साथ रामेश्वरम पर भी कब्जा कर लिया था। अमोघवर्ष ने कई मंदिरों का भी निर्माण करवाया था जिनमें रामेश्वरम का कृष्णस्वारा मंदिर भी शामिल था।



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