राष्ट्रीय निर्माण में नारी की भूमिका के विषय पर अपने विचार लिखिए .
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पौराणिक समाज में महिलाओं को देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता था पर यह भी सच है की आज स्थिति उस समय से बिलकुल विपरीत है। उनसे अभद्र व्यव्हार किया जाता है। उन्हें मनहूस माना जाता है। उन्हें सिर्फ ऊपरी मन से देवी मान लेना ही काफी नहीं है जब तक उनकी स्थिति को सुधारने के लिए प्रयास न किया जाये। महिलाओं के उत्थान के लिए यह बेहद जरुरी है की पुरुष आगे आये और प्रयास करे जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव आ सके।
हम सब की ज़िंदगी में महिलाओं का बहुत अहम किरदार है। उनके बिना हम अपने अस्तित्व कल्पना भी नहीं कर सकते। जीवन की निरंतरता को बनाये रखने के लिए महिलाओं का होना बेहद जरुरी है। पहले उन्हें सिर्फ इसी लायक समझ जाता था की वे घर का काम करे, झाड़ू-पोछा लगाए, खाने पीने का ध्यान रखे पर अब ऐसा नहीं है। महिलाएं घर के कामकाज के साथ साथ बाहरी दुनिया में भी अपनी प्रतिभा दिखा रही है
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राष्ट्र के निर्माण में महिलाओं की अहम भूमिका की कभी भी अनदेखी नहीं की जा सकती है। आजादी के समय से लेकर आज तक समाज व राष्ट्र के नव निर्माण में महिलाओं ने पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सक्रिय सहभागिता निभाते हुए खुद को साबित किया है।
यह बात नर्मदापुरम संभाग की संयोजिका सीमा चोरिया ने कही। वे सिंधी सेवा भवन में बुधवार को राष्ट्र सेविका समूह की गोष्ठी को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा महिलाओं की शक्ति को कभी कम नहीं आंका जा सकता। एवरेस्ट फतह करने से लेकर अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली व देश की सत्ता में सरकारी ओहदों पर काबिज महिलाओं ने नारी शक्ति का गौरव बढ़ाया है। आरएसएस के विभाग संघ चालक गोविंद सिंह ने कहा इतिहास में इस बात के प्रमाण हैं कि राष्ट्र जागरण व इसके नव निर्माण में मातृ शक्ति ने त्याग समर्पण व बलिदान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
आरएसएस के जिला संघचालक डॉ प्रभु शंकर शुक्ला ने कहा गुजरते समय के साथ महिलाओं ने हर स्तर खुद को सबला के रूप में साबित किया है। समाज में सकारात्मक बदलाव और नई पीढ़ी को राष्ट्र व समाजसेवा के लिए संस्कारित करने में उसका योगदान सबसे ज्यादा है। शुक्ला ने कहा देश में गुरु व मां का दर्जा एक जैसा है। वे दोनों ही एक बेहतर सभ्य व संस्कारित समाज के लिए संस्कारवान पीढ़ी को तैयार करते हैं। गोष्ठी में बड़ी संख्या में महिलाएं व युवतियां मौजूद रहीं।
हरदा। महिला सशक्तिकरण गोष्ठी को संबोधित करते वक्ता।
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