राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने के लिए सदन के कितने सदस्यों की हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है?
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Answer:
राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने के लिए सदन के एक चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है।
भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल यूं तो 5 वर्ष का होता है और राष्ट्रपति भारत का सबसे बड़ा संवैधानिक प्रमुख होता है, किंतु भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61 के अनुसार राष्ट्रपति यदि संविधान का उल्लंघन करता है तो संविधान में दी गई पद्धति के अनुसार उस पर महाभियोग चलाकर उसे पदच्युत किया जा सकता है।
राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने का अधिकार भारतीय संसद के दोनों सदनों को प्राप्त है। अभियोग चलाने के लिए सदन की पूरी संख्या के कम से कम एक चौथाई स्थाई सदस्यों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है। सदन में महाभियोग का प्रस्ताव होने के 14 दिन बाद अभियोग लगाने वाले सदन में उस पर विचार किया जाता है और अभियोग पर प्रस्ताव सदन की कुल संख्या के 2/3 सदस्यों द्वारा स्वीकृत हो जाए तो उसे तुरंत दूसरे सदन को भेज दिया जाता है। दूसरा सदन इन अभियोग की या तो स्वयं जांच करेगा या इसके लिए विशेष समिति की नियुक्ति करता है।यदि अभियोग में लगाए गए आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो दूसरा सदन भी अपने कुल सदस्यों के कम से कम दो तिहाई बहुमत से महाभियोग के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है और प्रस्ताव स्वीकार होने की तिथि से राष्ट्रपति पदच्युत समझा जाता है।
Explanation:
नियमों के मुताबिक़, महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है. लेकिन लोकसभा में इसे पेश करने के लिए कम से कम 100 सांसदों के दस्तख़त, और राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों के दस्तख़त ज़रूरी होते हैं.