रोती हुई बालिका कौन थी और वह कहां बैठे रो रही थी
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सन् 57 के सितंबर मास में अद्र्ध रात्रि के समय चाँदनी रात में एक बालिका स्वच्छ उज्ज्वल वस्त्र पहने हुए नानासाहब के भग्नावशिष्ट प्रासाद के ढेर पर बैठी रो रही थी। पास में जनरल आउटरम की सेना भी ठहरी थी। कुछ सैनिक रात्रि के समय रोने की आवाज सुनकर वहाँ गए।
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