रीतिकाल को श्रृंगार काल क्यों कहा जाता है ? रीतिकाल के किन्हीं दो कवियों के
नाम उनकी एक-एक रचना सहित लिखिए।
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रीतिकाल को श्रृंगार काल क्यों कहा जाता है ? रीतिकाल के किन्हीं दो कवियों के नाम उनकी एक-एक रचना सहित लिखिए।
रीतिकाल को श्रृंगार काल इसलिये कहा जाता है क्योंकि रीतिकाल में अधिकतर कवियों की रचना में श्रृंगार रस की प्रधानता रही है। रीतिकाल के अधिकांश कवि दरबारों पर आश्रित कवि थे, इसलिए उन्हें अपने राजाओं के गुणगान में श्रृंगार प्रधान कविता की रचना करनी पड़ती थी।
नायक और नायिका के सौंदर्य व प्रेम पर आधारित श्रृंगार परक रचनाएं रीतिकाल के कवियों की प्रमुख विशेषता रही है। इसी कारण रीतिकाल को श्रृंगार काल कहा जाता है।
रीतिकाल के प्रमुख कवियों में केशवदास, कवि बिहारी, मतिराम, भिखारीदास, चिंतामणि, घनानंद आदि के नाम प्रमुख हैं।
रीतिकाल के दो कवियों की दो प्रमुख रचनाएं हैं...
- बिहारी सतसई - कवि बिहारी
- सुजान सागर - घनानंद
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ढचबचभछभूढूहथहेमेक्षछमभछमछम
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