Hindi, asked by babitababita9404, 1 month ago

रीतिकालीन काव्य का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।​

Answers

Answered by rishika042003
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Answer:

हम पाते हैं कि इस तरह से इस काव्य के प्रति एक नकारात्मक दृष्टि उभरती चली जाती है। रीतिकालीन साहित्य पर विभिन्न आलोचकों ने अपनी-अपनी दृष्टि से विचार किया है। अनेक ग्रंथ भी लिखे गये हैं। कुछ आलोचकों ने इसे अत्यंत हेय दृष्टि से देखा है तो कुछ आलोचकों का यह भी प्रयास रहा है कि रीतिकालीन साहित्य की विशिष्ट उपलब्धियों की ओर ध्यान आकृष्ट करवाया जाये। यूँ तो हिन्दी आलोचना को सम्यक् आकार देने तथा उसे चरमोत्कर्ष पर पहुँचाने का श्रेय आचार्य रामचंद्र शुक्ल को दिया जाता है, लेकिन रामचंद्र शुक्ल से पूर्व हिन्दी आलोचना का विकास करने वाले आलोचकों में मिश्र-बंधु, पद्मसिंह शर्मा, महावीर प्रसाद द्विवेदी, लाला भगवान दीन, कृष्णबिहारी मिश्र आदि का नाम उल्लेखनीय है, जिन्होंने रीतिकाव्य पर अपना दृष्टिकोण प्रदर्शित किया तथा रीतिकालीन कविता पर पर्याप्त वाद-विवाद किया।

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