रीतिकाव्य की साहित्यिक प्रवृतियों का परिचय दीजिए
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रीतिकाल की प्रमुख प्रवृत्ति रीति निरूपण या लक्षण-ग्रंथों का निर्माण है। इन कवियों ने संस्कृत के आचार्यों का अनुकरण पर लक्षण-ग्रंथों अथवा रीति ग्रंथों का निर्माण किया है। ... रीति निरूपण करने वाले आचार्यों के 2 भेद हैं- सर्वांग और विशिष्टांग निरूपक। काव्यांग परिचायक कवियों का उद्देश्य काव्यांगों का परिचय देना है।
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